वाटिकन सिटीः युद्ध न तो एक आवश्यकता है, और न ही यह अपरिहार्य है, सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी, सोमवार, 08 सितम्बर सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि
प्रार्थना एवं वार्ता शांति स्थापना के लिये अनिवार्य हैं। उन्होंने कहा युद्ध न तो आवश्यक
है और न ही यह अपरिहार्य ही है।
बैलजियम के आन्टवेर्प नगर में सन्त इजिदियो
काथलिक लोकधर्मी समुदाय के तत्वाधान में आयोजित 28 वें अन्तरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन
को प्रेषित सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने सतत् प्रार्थना एवं वार्ताओं द्वारा संघर्षों
की समाप्ति एवं शांति की स्थापना का आह्वान किया।
प्रथम विश्व युद्ध की 100 वीं
बरसी की स्मृति में, रविवार 07 सितम्बर से मंगलवार 09 सितम्बर तक आन्टवेर्प में जारी
28 वें अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का विषय हैः "शांति ही भविष्य है"। विश्व में व्याप्त
विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि एक साथ प्रार्थना एवं विचारों के आदान प्रदान हेतु इस सम्मेलन
में उपस्थित हुए हैं।
शांति सम्मेलन के प्रतिभागियों को प्रेषित सन्देश में सन्त
पापा ने प्रथम विश्व युद्ध के अन्धकारपूर्ण इतिहास का स्मरण दिलाया और कहाः "100 वीं
बरसी हमें यह शिक्षा देती है कि अन्याय की समाप्ति तथा राजनैतिक समस्याओं एवं सामाजिक
मतभेदों को हल करने के लिये युद्ध सन्तोषजनक समाधान कभी नहीं हो सकता।"
उन्होंने
कहा कि आन्टवेर्प में जारी अन्तरधार्मिक शांति सम्मेलन प्रार्थना एवं निष्कपट वार्ताओं
द्वारा शांति निर्माण में महान योगदान दे सकता है। उन्होंने कहाः "यह आशा की जाती है
कि प्रार्थना एवं सम्वाद के ये दिन इस बात का स्मरण दिलाने हेतु सशक्त अस्त्र सिद्ध होंगे
कि प्रार्थना द्वारा लोगों के बीच शांति एवं समझदारी कायम की जा सकती तथा युद्ध की सनक
को पराजित किया जा सकता है।"
सन्त पापा फ्राँसिस ने इस बात पर बल दिया कि
"युद्ध कभी भी एक आवश्यकता नहीं हो सकती और न ही यह अपरिहार्य है।"
सन्त पापा
ने कहा, "शांति ईश्वर के लक्ष्य की प्राप्ति का सुदृढ़ चिन्ह है तथा ईश्वर केवल धार्मिक
नेताओं को ही नहीं बल्कि सभी शुभचिन्तक स्त्री-पुरुषों को आमंत्रित करते हैं कि वे हर
जाति, वर्ग, धर्म एवं नस्ल के मनुष्यों के बीच सम्मान भाव को जगाकर शांति के निर्माता
बनें।"