वाटिकन सिटी, बुधवार, 3 सितम्बर 2014 (सेदोक, वी.आर.)꞉ बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर 3 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण
में, विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया। उन्होंने
कलीसिया की धर्मशिक्षा माला को जारी करते हुए इताली भाषा में कहा, ″ख्रीस्त में मेरे
अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, ″हमारी धर्म शिक्षा में हमने बहुधा ग़ौर किया
है कि हम अपने आप ख्रीस्त धर्मानुयायी नहीं बन जाते हैं किन्तु विश्वास में जन्म लेने,
बढ़ने तथा ईश प्रजा अर्थात् कलीसिया में रहकर ही हम ख्रीस्तीय बनते हैं। कलीसिया हमारी
सच्ची माँ है जो ख्रीस्त द्वारा हमें जीवन देती तथा पवित्र आत्मा की संगति में अपने भाई-बहनों
के समुदाय में हमें शामिल करती है।″
संत पापा ने कहा कि कलीसिया के मातृत्व का
आदर्श धन्य कुँवारी मरियम हैं जिन्होंने समय पूरा हो जाने पर, पवित्र आत्मा द्वारा गर्भधारण
किया तथा ईश पुत्र को जन्म दिया। उनका मातृत्व कलीसिया द्वारा आगे बढ़ता है जो बपतिस्मा
संस्कार द्वारा पुत्र-पुत्रियों को जन्म देने तथा ईश वचन द्वारा उनका भरण-पोषण करने में
परिलक्षित होता है।
वास्तव में, येसु ने कलीसिया को सुसमाचार इसलिए प्रदान किया
ताकि वह सुसमाचार की उदार उद्घोषणा द्वारा नये सदस्यों को जन्म दे तथा पिता ईश्वर के
लिए बहुत सारे पुत्र-पुत्रियों को एकत्र करे। एक माता के रूप में कलीसिया जीवनभर हमारी
देखभाल करती है। सुसमाचार की ज्योति एवं संस्कारों के अनुष्ठान द्वारा वह हमारा पथ आलोकित
करती है विशेषकर, परमप्रसाद संस्कार द्वारा। संत पापा ने कहा कि इस आध्यात्मिक भोजन
से बल पाकर हम अच्छाई को चुन सकें तथा संसार की बुराइयों और छल-कपट से सावधान रह सकें।
हम आशा एवं साहसपूर्वक जीवन की कठिनाईयों का सामना कर सकें। यही कलीसिया है, एक माता,
जिसके हृदय में अपने बच्चों के प्रति भलाई की भावना भरी है। जूँकि हम कलीसिया हैं अतः
हमें इसी आध्यात्मिक एवं भौतिक मनोभावना से अपने भाई-बहनों के साथ जीना है। उनका स्वागत
करें, उन्हें क्षमा करते हुए जीवन की आशा एवं भरोसा प्रदान करें।
इतना कहकर संत
पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की। धर्मशिक्षा माला समाप्त कर संत पापा ने सभी
अंग्रेजी भाषी तीर्थयात्रियों का भी अभिवादन किया तथा अंत में भारत, इंगलैंड, मलेशिया,
इंडोनेशिया वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व,
स्कॉटलैंड. जापान, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश
के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा
प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।