सन्त रुमॉन को रुआन, रॉनन तथा रुआदान नामों से
भी पुकारा जाता है। रुमॉन, सम्भवतः, ट्रेकियर के धर्माध्यक्ष सन्त टुडवाल के भाई थे।
इसके अलावा, उनके विषय में इतना ही पता है कि वे आयरलैण्ड के मिशनरी थे तथा इंगलैण्ड
के डेवॉन एवं कॉर्नवेल के कई गिरजाघर सन्त रुमॉन को समर्पित हैं। कुछेक आचार्यों का
कहना है कि सन्त रुमॉन तथा ब्रिटनी में आराधित सन्त रोनान एक ही व्यक्ति हैं जो सन्त
पैट्रिक द्वारा धर्माध्यक्ष अभिषिक्त किये गये थे। तथापि, कुछ अन्यों का विश्वास है कि
सन्त रुमॉन और सन्त केया ब्रिटेन के काथलिक मठवासी भिक्षु थे जिन्होंने स्ट्रीट सॉमरसेट
में एक मठ का निर्माण करवाया था।
इंगलैण्ड के डेवॉन स्थित तावीस्टॉक में
बेनेडिक्टीन धर्मसमाजी मठ के खण्डर हैं जिन्हें माँ मरियम तथा सन्त रुमॉन को समर्पित
मठ के नाम से जाना जाता है। इसी मठ में मरियम तथा सन्त रुमॉन को समर्पित एक गिरजाघर भी
है जिसे सन् 997 ई. में, डेनमार्क के हमलावरों ने ध्वस्त कर दिया था। बाद में, द्वितीय
मठाध्यक्ष लाईफिंग द्वारा इस गिरजाघर का पुनर्निर्माण करवाया गया था। सन् 1285 ई. में
गिरजाघर का एक बार फिर निर्माण करवाया गया था तथा यहाँ स्थित मठ का पुनर्निमाण 1457 ई.
तथा 1458 ई. के बीच करवाया गया। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि सन्त रुमॉन, बेनेडिक्टीन
धर्मसमाज के काथलिक भिक्षु थे। सन्त रुमॉन का पर्व 30 अगस्त को मनाया जाता है।
चिन्तनः
"जितनों ने उसे अपनाया, और जो उसके नाम में विश्वास करते हैं, उन सब को उसने ईश्वर की
सन्तति बनने का अधिकार दिया" (सुस. सन्त योहन 1:12)।