काठमांडू, शुक्रवार, 29 अगस्त 14 (एशियान्यूज़)꞉ नेपाल की आम जनता ने संत पापा फ्राँसिस
की सराहना करते हुए बाढ़ की तबाही के बीच तीज त्यौहार मनाये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया
व्यक्त की। हिन्दू महिला सरजाना चौधरी ने बरदिया जिले में बाढ़ के कारण हुई क्षति
के मद्देनजर एशियान्यूज़ से कहा, ″हज़ारों लोग बेघर, भूखे, भूस्खलन तथा बाढ़ आदि से तबाह
हैं किन्तु लोग हज़ारों रूपये खर्च कर तीज का त्यौहार मना रहे हैं।″ उन्होंने कहा
″नेपाल के राजनैतिक एवं धार्मिक नेताओं को संत पापा फ्राँसिस से सीख लेनी चाहिए जिन्होंने
कठिनाई में पड़े ईराकी ख्रीस्तीयों के लिए व्यक्तिगत अनुदान किया तथा सभी ख्रीस्तीयों
को भी दान करने के लिए प्रोत्साहन दिया।″ उन्होंने अपनी तकलीफ बतलाते हुए कहा कि
वह अपने एक माह के बच्चे के पालन पोषण में कठिनाई महसूस कर रही हैं। सरजाना ने कहा
कि उनके पास खाना नहीं है तथा वे खुले आसमान पर रहने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने
जानकारी देते हुए कहा कि कई ख्रीस्तीय संस्थाएँ हमें मदद पहुँचा रही हैं जबकि स्थानीय
धार्मिक एवं राजनैतिक नेता सिर्फ भाषण से लोगों का पेट भरना चाहते हैं। उन्होंने कहा
कि खाली पेट को संस्कृति से भरा नहीं जा सकता। ज्ञात हो कि काठमांडू में एक ऐसी परम्परा
है जिसमें उच्च वर्ग के लोग छुट्टियाँ बिताने के लिए पूरे रेस्टॉरेंट या हॉटेल को किराये
पर ले लेते हैं। महिला अधिकार कार्यकर्ता बंधना राना ने उस प्रथा पर खेद जताते हुए
कहा, ″हम अधिक से अधिक भौतिकवादी बनते जा रहे हैं, इतना तक कि महिलाएँ भी। इस प्रकार
का कार्य सामाजिक असमानता को बढ़ावा देता है अतः हमें निजी स्वार्थ से ऊपर उठ कर उदार
बनना चाहिए।″ उधर हिंदूधर्म के महापंडित गोविंदा तोंदोन ने कहा, ″इस प्रकार की कुरीतियाँ
हमारे देश एवं समाज को आध्यात्मिक असंतुष्टि की ओर ले जा रही है जिसके कारण लोग आत्मकेंद्रित
होते जा रहे हैं तथा कोई भी अन्यों की आवश्यकताओं पर ध्यान नहीं देता और न ही किसी की
मदद करता है। नेपाल की रेखा थापा ने कहा कि धर्म सभी के लिए समान होना चाहिए चाहे
वह धनी हो या निर्धन। मैंने ख्रीस्तीय मित्रों से सीखा है कि किस प्रकार संयम के साथ
त्यौहारों को मनाया जाना चाहिए तथा कठिनाईयों में पड़े भाई बहनों की मदद हेतु दान संग्रह
किया जाना चाहिए।