2014-08-23 16:32:25

35 वें मित्रता सम्मेलन पर संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 23 अगस्त 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 23 अगस्त को, रिमिनी के धर्माध्यक्ष फ्रंचेस्को लामबियासी को 35 वें मित्रता सम्मेलन के अवसर पर एक पत्र प्रेषित कर, सम्मेलन के आयोजन के लिए धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ अर्पित की।
वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने संत पापा की ओर से पत्र में लिखा, ″35 वें मित्रता सम्मेलन के संयोजकों, स्वयं सेवकों एवं सभी प्रतिभागियों को संत पापा फ्राँसिस अपनी शुभकामनाएँ एवं प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान करते हैं।″
सम्मेलन की विषय वस्तु है ″दुनिया की परिधि एवं अस्तित्व की ओर संत पापा की उत्सुकता की निरंतर एक गूँज।″

उन्होंने लिखा कि बोएनेस आयरेस के धर्माध्यक्ष होने के नाते वे यह महसूस कर सकते हैं कि ‘उपनगर’ या बस्ती मात्र एक स्थान नहीं किन्तु सबसे बढ़कर लोगों का निवास है। अतः कलीसिया को अपने घेरे से बाहर आकर उन बस्तियों में जाना चाहिए। हम न केवल भौगोलिक क्षेत्रों में जाएँ किन्तु पाप, दुःख, अन्याय, उपेक्षा, विश्वास का अभाव तथा दुःख से ग्रसित लोगों के जीवन में प्रवेश करें।

कलीसिया की पैदावार सुसमाचार में ही निहित है जो येसु के जीवन को दर्शाता है जिन्होंने ईश राज्य की घोषणा हेतु बस्तियों का दौरा किया तथा अपने शिष्यों को भेजा क्योंकि पिता ने उन्हें इसी काम के लिए दुनिया में भेजा था।
सम्मेलन की विषयवस्तु का दूसरा भाग है ″भाग्य ने मानव को अकेला नहीं छोड़ा।″
उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय विकेन्द्रीकरण से नहीं घबराते, वे बस्तियों में जाते हैं क्योंकि उनके केंद्र ख्रीस्त हैं। ख्रीस्त हमें भय से मुक्त करते हैं। उनके साहचर्य में हम सभी सुरक्षित विचरण कर सकते हैं इतना तक कि जीवन की अंधकारमय परिस्थितियों में भी।

संत पापा ने सम्मेलन के प्रतिभागियों को दो मुख्य बातों की ओर इंगित किया है- पहली, सत्य से कभी दूर न हों क्योंकि आज की संस्कृति सतही और अस्थायी बातों को अधिक महत्व देती है। दूसरी बात उन्होंने कही कि हम अनिवार्य बातों पर ध्यान केंद्रित करें।








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