फादर मेनिनी का जीवन उदार और उत्साही प्रेरित बनने की प्रेरणा, प्रेरितिक राजदूत
राँची, शुक्रवार 22 अगस्त, 2014 (सेदोक,वीआर) प्रसिद्ध आध्यात्मिक संचालक और आदिवासियों
के लिये सारा जीवन समर्पित करने वाले जेस्विट फादर पियेर जियोरजियो मेनिनी (76) को 19
अगस्त मंगलवार को झारखंड की राजधानी राँची के संत मेरीज महागिरजाघर में अपार वेदना और
कृतज्ञता के भाव से भावपूर्व अंतिम विदाई दी गयी। दफ़न क्रिया के पूर्व हुए यूखरिस्तीय
बलिदान की अध्यक्षता राँची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर टोप्पी, डीडी ने की।
यूखरिस्तीय बलिदान में कार्डिनल टोप्पो के सहअनुष्ठाता रूप में जमशेदपुर के धर्माध्यक्ष
फेलिक्स टोप्पो, ये.स. और हज़ारीबाग के सेवानिवृत्त धर्माध्यक्ष चार्ल्स सोरेंग ये.स.,राँची
धर्मप्राँत के जेस्विट प्रोविन्शियल सुपीरियर फादर जोसेफ मरियानुस कुजूर सहित कई धर्मप्राँतीय
तथा धर्मसमाजी पुरोहितो, धर्मबहनों और स्थानीय लोकधर्मियों ने हिस्सा लिया। इतालवी
मिशनरी फादर मेनिनी की मृत्यु 16 अगस्त को राँची से करीब 32 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित
हॉली फैमिली हॉस्पीटल माँडर में हो गयी थी। 7 जुलाई को अपने मित्र फादर शैलेन्द्र
के दफ़न समारोह में शामिल होने दौरान वे गिर पड़े थे और उनका दाहिना अंग लकवाग्रस्त हो
गया था। उनकी मृत्यु के समाचार से दुःखी भारत में वाटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष साल्वातोरे
पिनाकियो ने शोक संदेश प्रेषित करते हुए कहा कि वे पियेर जियोरजियो मेनिनी की आकस्मिक
मृत्यु से दुःखी है। उन्होंने कहा, “ फादर मेनिनी ने अपना सम्पूर्ण जीवन आध्यात्मिक
पिता के रूप में बिताया और हज़ारों धर्मसमाजियों, धर्मबहनों और नवशिष्यों के आध्यात्मिक
संचालक रहकर धर्मसमाजी जीवन पूरी उदारता से जीने में उनका मार्गदर्शन किया ”। प्रेरितिक
राजदूत ने इस बात की भी जानकारी दी कि इटली के मिशनरी फादर मेनिनी एक ऐसे परिवार की संतान
थे जहाँ उन्हें उत्साही और उदार प्रेरित बनने का परिवार में ही प्राप्त थी। विदित
हो कि फादर मेनिनी एक भाई इंगलैंड में प्रेरितिक राजदूत रूप में कलीसिया की सेवा में
समर्पित हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि फादर मेनिनी के समर्पित जीवन की प्रेरणा
से न केवल येसु समाजी पर पूरे धर्मप्राँत और देश के धर्मसमाजी येसु के सुसमाचार के विस्तार
के लिये शक्ति प्राप्त करेंगे। विदित हो कि फादर मेनिनी सन् 1970 ईस्वी में भारत
आये और तब से अब तक पुणे, चेन्नई, नयी दिल्ली, हज़ारीबाग और राँची के झरना नामक आध्यात्मिक
साधना केन्द्र में विभिन्न प्रशिक्षुओं का मार्गदर्शन किया। यूखरिस्तीय बलिदान के
बाद फादर मेनिनी के शव को राँची से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नामकोम लाया गया
जहाँ उनकी दफ़न क्रिया सम्पन्न हुई। दफ़न क्रिया में शामिल फादर के भाई पौलो और उनकी
धर्मपत्नी मरिया लौरा ने हिस्सा लिया । भारी संख्या में उपस्थित लोगों का फादर मेनिनी
के प्रति सम्मान और श्रद्धा देख उन्हें सात्वना और ढाढ़स प्राप्त हुआ। दफ़न क्रिया
का समापन करते हुए प्रोविन्शयल सुपीरियर फादर कुजूर ने कहा कि फादर मेनिनी की आकस्मिक
मृत्यु से न केवल राँची को पर पूरे राष्ट्र दुःखी है क्योंकि उनके आध्यात्मिक मार्गदर्शन
का कार्यक्षेत्र का दायरा देश के कोने-कोने तक फैला रहा।