इंदिरा गांधी के हत्यारों पर बनी फिल्म 'कौम दे हीरे' का रिलीज़ रुका
नई दिल्ली, शुक्रवार 22 अगस्त, 2014 सरकार ने गुरुवार को देश के कई हिस्सों में कानून
व्यवस्था की चिंताओं का हवाला देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों
पर बनी विवादित पंजाबी फिल्म ‘कौम दे हीरे’ की कल प्रस्तावित रिलीज पर रोक लगा दी। सूचना
एवं प्रसारण मंत्रालय, गृह मंत्रालय और केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने
फिल्म देखने के बाद मिलकर यह फैसला किया। सेंसर बोर्ड प्रमुख लीला सैमसन ने यहां गृह
मंत्रालय की सिफारिश के आधार पर फिल्म की समीक्षा करने के बाद कहा, ‘‘हमने फिल्म देखी
और फैसला किया कि यह कल रिलीज नहीं होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय की रिपोर्ट
और फिल्म के प्रदर्शन से कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के आधार पर गृह मंत्रालय, सीबीएससी
और सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने यह फैसला किया.’’ गृह मंत्रालय ने फिल्म
की विषयवस्तु को लेकर आपत्ति और गंभीर चिंता जताई और सूचना प्रसारण मंत्रालय से इस फिल्म
को रिलीज के लिए दी गई मंजूरी पर पुनर्विचार करने के लिए कहा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
को लिखे पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा कि यह फिल्म पंजाब और उत्तर भारत के अन्य राज्यों
में सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित कर सकती है। गृह मंत्रालय ने सूचना एवं प्रसारण
मंत्रालय से कहा कि फिल्म की कुछ सामग्री बेहद आपत्तिजनक है और यह समुदायों के बीच शत्रुता
पैदा कर सकती है और इससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि फिल्म
दिवंगत प्रधानमंत्री के हत्यारों बेअंत सिंह, सतवंत सिंह और केहर सिंह पर कथित तौर पर
आधारित है। इसमें कथित तौर पर उनके कृत्य का महिमामंडन किया गया है। ऐसी खबरें हैं
कि सेंसर बोर्ड के सीईओ राकेश कुमार ने कथित तौर पर एक लाख रुपये की रिश्वत लेकर फिल्म
को हरी झंडी दे दी थी। कुमार को भ्रष्टाचार के आरोप में हाल में सीबीआई ने गिरफ्तार किया
था। कांग्रेस और भाजपा की पंजाब इकाइयों ने विवादास्पद फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की
मांग की है> सैमसन ने फैसले को सही ठहराते हुए सिनेमैट्रोग्राफी (सर्टिफिकेशन) नियम
1983 के नियम संख्या 32 का हवाला दिया जो प्रमाण पत्र प्राप्त कर चुकी फिल्मों का फिर
से परीक्षण करने की बात करता है। नियम कहता है कि अगर केन्द्र सरकार को जरूरी लगता है
कि वह अध्यक्ष को फिल्म पर फिर से गौर करने के लिए कह सकती है। फिल्म के निर्माता
प्रदीप बंसल ने कहा है कि फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है. यह फिल्म न्यायमूर्ति ठक्कर
आयोग के निष्कर्षों पर आधारित है। इस आयोग ने इंदिरा गांधी हत्याकांड की जांच की थी। उन्होंने
कहा, ‘‘यह पूरी तरह संतुलित फिल्म है जिसमें किसी भी धर्म या संप्रदाय का अपमान नहीं
किया गया है। कुछ लोग फिल्म को देखे बिना अनावश्यक विवाद पैदा करने का प्रयास कर रहे
हैं।’’ सेंसर बोर्ड ने ‘ए’ प्रमाण पत्र के साथ फिल्म के प्रदर्शन को हरी झंडी दे
दी थी। यह फिल्म कल उत्तर भारत के 100 से अधिक सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली थी। इंदिरा
गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने 31 अक्तूबर 1984 को उनके आधिकारिक आवास पर गोली मारकर
हत्या कर दी थी।