2014-08-21 15:31:08

48 वें विश्व शांति दिवस का संदेश


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 21 अगस्त 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन ने 21 अगस्त को 48 वें विश्व शांति दिवस की विषयवस्तु प्रकाशित कर दी।
48 वें विश्व शांति दिवस की विषयवस्तु है, ″दास कोई नहीं किन्तु सभी एक-दूसरे के भाई बहन″
हालांकि बहुत सारे लोगों की धारणा है कि दास प्रथा बीती बात है, किन्तु यह प्रथा आज भी जारी है। पिछले साल विश्व शांति दिवस का शीर्षक था भ्रातृत्व, शांति का आधार एवं मार्ग।″

ईश्वर की संतान होने के नाते भाई-बहन के रूप में सभी एक ही प्रतिष्ठा के सहभागी हैं।
48 वें विश्व शांति दिवस हेतु संदेश में कहा गया है कि दास प्रथा मौलिक बिरादरी पर प्रहार करती है साथ ही शांति पर भी। शांति का राज तभी स्थापित हो सकता है जब प्रत्येक व्यक्ति अन्य व्यक्ति को भाई या बहन के रूप में समान प्रतिष्ठा की दृष्टि से देख सके।

विश्व में आज कई निकृष्ट प्रकार की दास प्रथा विद्यमान है जैसे- मानव तस्करी, विस्थापितों एवं वेश्याओं का व्यापार, शोषण, बंधुआ मज़दूरी तथा बच्चों एवं महिलाओं को बंधक बनाया जाना आदि।
लज्जा की बात ये है कि संसार में कई निजी एवं दलों के लोग इस प्रथा का लाभ उठाते हैं। वे खुद के नीच काम के लिए विश्व में चल रहे संघर्षों, आर्थिक संकट एवं बुराईयों द्वारा फायदा उठाते हैं।
दास प्रथा वर्तमान समाज के शरीर पर एक भयंकर खुला घाव है, ख्रीस्त के शरीर पर एक अत्यन्त पीड़ा दायक घाव।

संत पापा ने अपने संदेश में दास प्रथा को खत्म करने के कारगर उपाय के रूप में बतलाया है कि प्रत्येक व्यक्ति की अनुल्लंघनीय मानव प्रतिष्ठा को पहचाना जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि मजबूत भ्रातृत्व शक्ति द्वारा मानव प्रतिष्ठा को स्वीकार किया जा सकता है।
भ्रातृत्व किसी भी प्रकार की असमानता का बहिष्कार करती यह मांग करती है कि हम एक दूसरे के साथ सामीप्य एवं उदारता का बर्ताव करें।

इस प्रकार सभी स्वतंत्रता एवं सहभागिता का एहसास कर सकें।
संत पापा ने अपने संदेश में बल दिया है कि उनका उद्देश्य है ऐसी सभ्यता की स्थापना करना जहाँ लोगों के बीच किसी प्रकार का भेदभाव न हो तथा सभी को समान प्रतिष्ठा प्राप्त हो। इस उद्देश्य की प्राप्ति संप्रेषण, शिक्षा तथा संस्कृति के प्रति समर्पण की मांग करता है जिसे एक नवीकृत समाज का निर्माण हो सके तथा स्वतंत्रता, न्याय और शांति स्थापित हो सके।

विश्व शांति दिवस की स्थापना संत पापा पौल 6 वें द्वारा हुई थी तब से यह प्रत्येक साल 1 जनवरी को मनाया जाता है। संत पापा का यह संदेश सभी विदेश मंत्रियों को प्रेषित कर दिया गया है।








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