2014-08-17 12:16:50

हेयमीः सन्त पापा ने किया चीन एवं अन्यों के साथ वार्ता का आग्रह


हेयमी, 17 अगस्त सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने चीन के साथ भाईसुलभ वार्ताओं का आग्रह किया है।

काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस दक्षिण कोरिया में अपनी यात्रा के अन्तिम चरण में पहुँच चुके हैं। 13 अगस्त को आरम्भ दक्षिण कोरिया की यात्रा के चौथे दिन अर्थात् रविवार 17 अगस्त को सन्त पापा राजधानी सेओल से लगभग 100 किलो मीटर की दूरी पर स्थित हेयमी गये जहाँ उन्होंने 35 एशियाई देशों के 70 धर्माध्यक्षों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित कर उन्हें अपना सन्देश दिया।

13 अगस्त को आरम्भ दक्षिण कोरिया में सन्त पापा की प्रेरितिक यात्रा का उद्देश्य छठवें एशियाई युवा दिवस के समारोहों का नेतृत्व करना, कोरियाई शहीदों को धन्य घोषित करना तथा दक्षिण एवं उत्तर कोरिया की एकता हेतु प्रार्थना अर्पित करना था।

रविवार, 17 अगस्त को दक्षिण कोरिया के हेयमी नगर से सन्त पापा फ्राँसिस ने चीन की साम्यावादी सरकार का आह्वान किया कि वह वाटिकन के साथ औपचारिक वार्ताओं एवं सम्बन्धों की स्थापना का प्रयास करे जो दोनों पक्षों के लिये लाभकर सिद्ध होगा। हेयमी में किये अपने प्रभाषण में उन्होंने कहाः "अन्यों के प्रति उदार भाव में, मैं दिल से आशा करता हूँ कि आपके महाद्वीप के वे राष्ट्र जिनके साथ परमधर्मपीठ के पूर्ण सम्बन्ध नहीं हैं, सभी के लाभ हेतु वार्ताओं की बहाली करने से नहीं कतरायेंगे।"

सन्त पापा के इन शब्दों को चीन तथा उत्तरी कोरिया को सम्बोधित स्पष्ट सन्देश माना जा रहा है। रोम से 13 अगस्त को सन्त पापा का विमान अन्य राष्ट्रों के हवाई क्षेत्र के साथ साथ चीन से भी होकर गुज़रा था। इस घटना को इसलिये महत्वपूर्ण माना गया क्योंकि इससे पूर्व चीन ने काथलिक कलीसिया के किसी भी परमाध्यक्ष के विमान को अपने हवाई क्षेत्र से जाने की अनुमति नहीं दी थी।

सन् 1949 ई. में चीन में साम्यवाद के आगमन के साथ ही वाटिकन तथा चीन के बीच कूटनैतिक सम्बन्ध भंग हो गये थे। चीन के काथलिक दो गुटों में विभाजित हैं। पहला गुट देशभक्त चीनी कलीसिया में पंजीकृत काथलिकों का है जिन्हें सरकार की निगरानी में धर्म पालन की स्वतंत्रता है जबकि दूसरा गुट विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया एवं सन्त पापा के प्रति स्वामी भक्ति के कारण उत्पीड़ित है तथा गुप्त रूप से धर्मपालन के लिये बाध्य है। प्रायः गुप्त रूप से अपने धर्म का पालन करनेवालों को चीन में नाना प्रकार उत्पीड़ित किया जाता है।

उत्तरी कोरिया में भी, हालांकि, धर्म पालन की स्वतंत्रता है तथापि, कुछेक सरकार नियंत्रित आराधना स्थलों के सिवाय राष्ट्र में और कुछ नहीं है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि दक्षिण कोरिया में सम्पन्न छठवें एशियाई युवा दिवस के लिये उत्तरी कोरिया के काथलिक युवाओं को भेजने की भी कलीसिया ने अपील की थी जिसे उत्तर कोरिया ने ठुकरा दिया था।

इस बीच, वियतनाम के साथ परमधर्मपीठ की वार्ताएँ जारी है तथा आशा की जा रही है कि शीघ्र ही दोनों राज्यों के मध्य पूर्ण कूटनैतिक सम्बन्धों की स्थापना हो सकेगी।

ग़ौरतलब है कि चीन ने सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों पर ध्यान केन्द्रित किया है। गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने सन्त पापा फ्राँसिस की स्थिति पर ग़ौर किया है तथा इस बात को दुहराता है कि बैजिंग वाटिकन के साथ सम्बन्धों के सुधार हेतु कृत संकल्प है।

एक वकतव्य में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहाः "हम वाटिकन के साथ रचनात्मक वार्ता करने तथा आपसी सम्बन्धों के सुधार के लिये परिश्रम कर रहे हैं।"








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