2014-08-14 16:11:52

झुण्ड की रखवाली करना धर्माध्यक्षों की विशेष जिम्मेदारी


सेओल, बृहस्पतिवार, 14 अगस्त 2014 (वीआर सेदोक)꞉ कोरिया प्रेरितिक यात्रा में संत पापा फ्राँसिस ने 14 अगस्त को, कोरियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन से मुलाकात कर, उन्हें कलीसिया में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया तथा कोरियाई कलीसिया में उनकी प्रेरिताई की याद दिलाई।

उन्होंने कहा, ″एक चरवाहे के रूप में आप प्रभु के झुण्ड की रखवाली करने के लिए समर्पित हैं। झुण्ड की रखवाली करना धर्माध्यक्षों की विशेष जिम्मेदारी है।″
संत पापा ने कोरिया के झुण्ड की रखवाली हेतु दो मुख्य पहलुओं का जिक्र किया꞉ स्मृति तथा आशाओं की रक्षा करना।

स्मृति की रक्षा करने का अर्थ है – पौल युंग जी चुंग तथा उनके सहयोगी शहीदों को धन्य घोषित करना। उन्होंने कहा कि आप शहीदों की संतान हैं, ख्रीस्त पर विश्वास की विरोचित साक्षियों के वंश। कोरियाई कलीसिया का जन्म ईश वचन को प्राप्त करने के द्वारा हुई थी। सुसमाचार ने इस कलीसिया में आंतरिक परिवर्तन किया तथा एक उदार जीवन को अपनाना सिखाया। कोरिया की धरती पर सुसमाचार का फलप्रद होना, उसके पूर्वजों द्वारा विश्वास का हस्तांतरण है जो आज भी विभिन्न पल्लियों तथा कलीसियाई गति विधियों, धर्म शिक्षा, युवाओं, स्कूल, गुरूकुल तथा विश्व विद्यालयों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।

यादगारी के रक्षक होने का अर्थ बीती बातों का स्मरण करने और उसे संजोकर रखने के अलावा आध्यात्मिक स्रोत के माध्यम से आशा करते हुए भविष्य की चुनौतियों का भी सामना करना।
संत पापा ने धर्माध्यक्षों की प्रेरिताई के दूसरे पहलू पर प्रकाश डालते हुए कहा, ″कि वे स्मृति के रक्षक होने के साथ-साथ आशा के भी रक्षक हैं। आशा ईश्वर की कृपा तथा येसु ख्रीस्त में उनकी करूणा के रूप में सुसमाचार द्वारा प्रस्फुटित होती है। उसी आशा ने शहीदों को शहादत के लिए प्रेरित किया। संसार अपने भौतिक समृद्धि, अधिक पाने की चाह तथा प्रामाणिकता द्वारा इस आशा के प्रचार को चुनौती दे रही है। आप एवं कलीसिया के सभी प्रतिनिधि धर्मविधि और संस्कारों के अनुष्ठान के माध्यम से विश्वासियों को न केवल कृपा के स्रोत के पास ले चलें किन्तु उससे भी बढ़कर ईश्वर के बुलावे का प्रत्युत्तर देना सिखलायें। पवित्रता, भाई प्रेम की उदारता तथा कलीसिया में प्रेरितिक उत्साह द्वारा आप आशा को जीवित बनाए रखें। इस कारण मैं आपको अपने पुरोहित भाइयों के करीब रहने की सलाह देता हूँ।″

संत पापा ने आशा के संरक्षक होने के दूसरे अर्थ को समझाते हुए कहा कि कोरिया की कलीसिया में नबी के रूप में साक्ष्य देना है जो गरीबों, शरणार्थियों, विस्थापितों एवं समाज में हाशिये के लोगों के प्रति उदारता का परिचय देता है।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों से कहा कि वे रखवाली करने के उत्तरदायित्व स्मृति एवं आशा की रक्षा पर चिंतन करें। उन्होंने उन्हें उनके सभी प्रयासों के लिए प्रोत्साहन दिया तथा उन्हें अपनी प्रार्थना का आश्वासन एवं प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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