2014-08-13 12:48:04

सेओलः पुनर्मिलन कोरियाई कलीसिया का मिशन, महाधर्मप्रान्त के प्रवक्ता


सेओल, बुधवार, 13 अगस्त सन् 2014 (विभिन्न सूत्र): उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया के बीच लम्बे समय से बने तनावों को दूर करने हेतु हर सम्भव प्रयास करना, सिओल महाधर्मप्रान्त के प्रवक्ता फादर हुर के अनुसार कोरियाई कलीसिया का मिशन है।

पत्रकारों से उन्होंने कहा, "राष्ट्र में पुनर्मिलन तथा एकीकरण की दिशा में काम करना कोरियाई कलीसिया का मिशन है।"

उन्होंने कहा, "हमारा विश्वास है कि मानवतावादी एवं लोकोपकारी समर्थन एवं निष्कपट वार्ताएँ नितान्त आवश्यक हैं।" उन्होंने बताया कि उत्तर तथा दक्षिण के बीच सम्बन्धों के तनावपूर्ण हो जाने के बावजूद कलीसिया मानवतावादी एवं लोकोपकारी सहायता जारी रख रही है।

ग़ौरतलब है कि द्वितीय विश्व युद्ध तथा जापानी के कब्ज़े से मुक्त होने के बाद कोरियाई प्रायद्वीप उत्तर में सोवियत संघ के कब्जें में तथा दक्षिण में संयुक्त राज्य अमेरिका के कब्ज़े में था। बाद में उत्तर कोरिया ने साम्यवादी रहने का चयन किया जिसके कारण उत्तर एवं दक्षिण कोरिया के बीच सन् 1950 से 1953 तक कोरियाई युद्ध चला। तकनीकी स्तर पर दोनों राज्य अभी भी युद्ध की स्थिति में हैं इसलिये कि युद्धविराम के परिणामस्वरूप लड़ाई बन्द हुई थी।

सेओल के कार्डिनल एन्ड्रू योम सू-जूँग ने हाल में कहा था कि कोरिया के लोग ऐसी आशा कर रहे हैं कि सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा प्रायद्वीप में एक चमत्कार करे तथा दोनों देशों को वार्ताओं के लिये तैयार कर दे। बहुतों की आशा है कि सन्त पापा इस अवसर पर पवित्रभूमि में लगाई गई शांति की पुकार को दुहरायेंगे, इस बार दोनों कोरियाओं के बीच तनावों की समाप्ति के लिये।

रोम में कोरियाई परमधर्मपीठीय कॉलेज के प्राचार्य फादर जोंग सू के अनुसारः "सभी लोग आशा कर रहे हैं कि सन्त पापा फ्राँसिस का यात्रा दोनों कोरियाओं के बीच उदार एवं उन्नत बातचीत का मार्ग प्रशस्त कर सकेगी। उनकी यात्रा हमारे प्रायद्वीप के लिये शांति की आशा को सुदृढ़ करती है।"

उन्होंने कहाः "कोरिया वह देश है जो विश्व में शांति एवं पुनर्मिलन की अनिवार्यता का प्रतीक है इसलिये सन्त पापा फ्राँसिस की कोरियाई यात्रा हमारे देश को आशा एवं शांति का महत्वपूर्ण सन्देश दे सकती है।"








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