वाटिकन सिटीः सन्त पापा फ्रांसिस की कोरिया यात्रा शुरु
वाटिकन सिटी, 13 अगस्त सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस बुधवार, 13 अगस्त को कोरिया
में अपनी प्रेरितिक यात्रा के लिये रवाना हो रहे हैं।
13 से 18 अगस्त तक जारी
सन्त पापा फ्राँसिस की कोरियाई यात्रा इस प्रायद्वीप में काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष
की तीसरी प्रेरितिक यात्रा होगी। इससे पूर्व सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने सन् 1986 तथा
सन् 1989 ई. में दक्षिण कोरिया की यात्राएँ की थी।
सन् 2013 के मार्च माह में
काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष नियुक्त हुए सन्त पापा फ्राँसिस की यह तीसरी अन्तरराष्ट्रीय
यात्रा है। सन् 2013 के जुलाई माह में सन्त पापा फ्राँसिस ने ब्राज़ील की तथा इस वर्ष
मई माह में पवित्र भूमि अर्थात जॉर्डन, फिलीस्तीन एवं इसराएल की प्रेरितिक यात्राएँ की
थी।
13 से 18 अगस्त तक जारी दक्षिण कोरिया में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा
के दो प्रमुख लक्ष्य हैं। प्रथम, छठवें एशियाई युवा दिवस के समारोहों का नेतृत्व करना
तथा द्वितीय, कोरियाई कलीसिया के 124 शहीदों को धन्य घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान
करना। काथलिक विश्वास के ख़ातिर अपने प्राण नयौछावर करनेवाले ये 124 शहीद उन 10,000 कोरियाई
लोगों में शामिल हैं जो 19 वीं शताब्दी में कनफ्यूश्यस बहुल कोरिया में दमन चक्र का शिकार
हुए थे।
सन्त पापा की कोरियाई यात्रा का शीर्षक इसायाह के ग्रन्थ से लिया गया
है जो हैः ''उठ कर प्रकाशमान हो जा!"। प्रमुख रूप से, हालांकि, इस यात्रा का उद्देश्य
एशियाई युवा दिवस का नेतृत्व करना तथा शहीदों की धन्य घोषणा है तथापि इससे अन्य लक्ष्यों
की प्राप्ति की भी आशा की जा रही है जिनमें शामिल हैं कोरियाई लोगों को उनके विश्वास
में सुदृढ़ करना; आर्थिक समस्याओं से जूझते लोगों में आशा का संचार करना; तथा कोरिया
के अन्तर में और उत्तरी एवं दक्षिणी कोरियाओं के बीच भी शांति और पुनर्मिलन की स्थापना
करना।
दक्षिण कोरिया की राजधानी सेओल में महाधर्मप्रान्त के प्रवक्ता फादर
मथायस यंग-यूप-हुर ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि "कोरियाई कलीसिया सन्त पापा
फ्राँसिस का स्वागत करनेवाली पहली कलीसिया है। इस अर्थगर्भित घटना के द्वारा कोरिया की
कलीसिया एशिया में सुसमाचार उदघोषणा का प्रवेश द्वार बन जायेगी।"