वाटिकन सिटी, बुधवार 6 अगस्त, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित पौल षष्टम् सभागार में विश्व के कोने-कोने से
एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी भाषा में कहा,
ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला हम कलीसिया – ईश्वर
की प्रजा पर चिन्तन करें। पुराने व्यवस्थान द्वारा तैयार और येसु ख्रीस्त द्वारा स्थापित
कलीसिया ईश्वर की नयी प्रजा है जिसकी नींव है - नया व्यस्थान।
ईशप्रजा में प्रभु
येसु ख्रीस्त के द्वारा जो नवीनता लायी गयी उससे पुराने व्यवस्थान दरकिनार नहीं हो जाती
है। सच बात तो यह है कि इससे व्यवस्थान पूर्ण होता है।
पवित्र धर्मग्रंथ में
हम पाते हैं कि संत योहन बपतिस्ता पुराने और नये व्यस्थान के बीच हुई प्रतिज्ञाओं और
पूर्व घोषणाओं में सेतु का कार्य करते हैं।
संत योहन ईश्वरीय प्रजा का आह्वान
करते हुए पश्चात्ताप करने का उपदेश देते हैं। और पर्वत पर प्रवचन में येसु ने जिन बातों
को बताया है उससे सिनाई पर्वत पर मूसा नबी द्वारा दिये गये नियम पूर्ण हो जाते हैं।
पर्वत
पर प्रवचन में येसु ने जो पथ हमें दिखलाया है जिसके द्वारा हमें उनकी कृपा से सच्ची खुशी
को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने हमें बतलाया है कि हमारा ख्रीस्तीय जीवन का न्याय इस
बात से किया जायेगी कि हमने अपने पड़ोसियों के साथ कैसा वर्ताव किया है।
नये
व्यवस्थान में हम पाते हैं कि येसु ने हमें ईश्वरीय दया और प्रेम से गले लगाया है ताकि
हमें भी अपने जीवन से उसके प्रेम का साक्ष्य दें।
इतना कहकर संत पापा ने अपनी
धर्मशिक्षा समाप्त की।
उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स,
वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया फिनलैंड, अमेरिका, ताइवान,
नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित
लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा पुनर्जीवित प्रभु के प्रेम
और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।