पुणे, शनिवार 2 अगस्त, 2014 (बीबीसी) भूस्खलन की चपेट में आए महाराष्ट्र के मालीण गांव
में एक महिला और उनके तीन महीने के बच्चे को कई घंटों तक मलबे में दबे होने के बाद ज़िंदा
निकाला गया है। राष्ट्रीय आपदा राहत बल के कर्मियों ने दोनों को मलबे से निकाला और
अब उनका मनचर में उप ज़िला अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस महिला का नाम प्रमिला लेंबे
है और उनके बच्चे का नाम रूद्र है। मां-बेटे ने कई घंटे मलबे के नीचे गुज़ारे। प्रमिला
की सास तनुबाई भी इस आपदा में ज़िंदा बच गई हैं और उनका भी उसी अस्पताल में इलाज चल रहा
है। तनुबाई ने कहा, “बुधवार को जब यह घटना घटी, तब प्रमिला बच्चे को दूध पिला रही
थी. अचानक मैंने एक बडी आवाज़ सुनी और मुझे लगा कि बिजली चमक रही है. इससे पहले मैं कुछ
सोच सकूं, पूरा मलबा हमारे घर पर आ गिरा।" तनुबाई को मामूली चोटें आई हैं जबकि प्रमिला
की पीठ पर जख़्म है। रूद्र को मामूली खरोंचे आई हैं। डॉक्टर ने प्रमिला को ज़्यादा
बोलने से मना किया है. मनचर अस्पताल के डॉक्टर गणेश पवार ने बताया, “जब सारा मलबा नीचे
गिरा, तब प्रमिला ने अपने बच्चे को छाती से लगाया और पूरे समय उसकी रक्षा की।” तनुबाई
ने कहा कि अपने पोते और बहू के बचने से वो ख़ुश हैं लेकिन उनके परिवार के बाक़ी सदस्य
इस आपदा में मारे गए। उन्होंने कहा, “मेरा और मेरी बहू का सौभाग्य है कि हमारा पोता
बच गया। लेकिन मेरे चार भाई और बेटी नहीं बची. हमारा सब कुछ तबाह हो गया।”
प्रमिला
और तनुबाई के अलावा इस अस्पताल में यशवंत लेंबे और मीरा लेंबे का भी इलाज चल रहा है.
यशवंत और तनुबाई दूर के रिश्तेदार हैं। डॉ. पवार ने बताया कि इन लोगों के शरीर पर
ज़ख्म ज़्यादा गहरे नहीं है लेकिन उन्हें जो सदमा पहुंचा है, उससे उबरने के लिए काफ़ी
लँबा समय लगेगा।