वाटिकन सिटी, शुक्रवार 1 अगस्त, 2014 (सीएनए) वाटिकन सिटी के लिये ईराक के राजदूत हब्बीब
एल सदर ने ईराक में ईसाइयों पर ‘इसीस के लड़ाकों द्वारा किये जा रहे अत्याचार के प्रति
अपना खेद जताया है।
उन्होंने कहा कि जब इसीस के जेहादियों ईराक के मोसुल में प्रवेश
किया तब उन्होंने ईसाइयों को इस्लाम धर्म अपनाने को कहा और जिजिया कर देने की माँग की।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें देश छोड़ना पड़ेगा क्योंकि
यह उनका देश नहीं हैं।
ऐसा कहना हमारे संस्कृति और इतिहास के बाहर की बात है
क्योंकि ईसाई ईराक के अभिन्न अंग रहे हैं। उनका शुरुआत यही हुई।
अल सदर एक शिया
मुस्लिम हैं जो वाटिकन सिटी में सन् 2010 से ही ईराक के राजदूत हैं।
विदित हो
कि 10 जून से ही ईसाइयों ने ईराक से पलायन करना शुरु कर दिया था जब इसीस ने उत्तरी सीरिया
और ईराक में अपना कलीफात स्थापित करने के लिये युद्ध जेहाद छेड़ दिया ।
मालूम
हो कि ईसाइयों के घर छोड़ने के बाद उनके निवास स्थानों को उन जेहादियों के लिये दे दिया
गया है जो दूसरे देशों से यहाँ आये थे।
जेहादियों ने इस बात की भी घोषणा की कि
मोसुल में ईसाइयों के घरों के दरवाज़े पर ‘एन’ अक्षर लिख दिया जायेगा जिसका अर्थ है ‘नज़ारेन’।
और इसके बाद से मोसुल पहली बार बिना ईसाइयों के रह गया है।
वाटिकन के लिये ईराक
के राजदूत ने इस बात की जानकारी दी कि ईसाई शरणार्थियों के लिये ईराक के स्वास्थ्य और
शरणार्थी विभाग की ओर से भोजन और स्वास्थ्य संबंधी सुविधायें मुहैया करायी जा रही है
और एक मिलयन दीनार में दिये गये हैं जो 750 डॉलर के बराबर है।
ज्ञात हो कि करीब
1 मिलियन ईराकी विस्थापित हो चुके हैं और करीब 3 मिलियन देश छोड़ कर सुरक्षा, स्वतंत्रता
और श्रम की तलाश में तब ही घर छोड़ चुके हैं जब निरंकुश शासक सद्दाम हुसैन वहाँ के राष्ट्रपति
थे।
देश से बाहर रह रहे ईराकी आज की परिस्थिति में देश बिल्कुल लौटना नहीं चाहते।