वाटिकन सिटीः आर्जेन्टीना की साप्ताहिक ने प्रकाशित की सन्त पापा की बातचीत
वाटिकन सिटी, मंगलवार 29 जुलाई सन् 2014 (सेदोक): आर्जेन्टीना की साप्ताहिक पत्रिका "वीवा"
ने सन्त पापा फ्राँसिस के साथ सम्पन्न बातचीत का पहला अंक इस रविवार को प्रकाशित किया।
इस बातचीत में सन्त पापा फ्राँसिस ने बहुत से विषयों पर बात की जिनमें बच्चों
के साथ माता पिता के सम्बन्ध, युवावस्था, सामाजिक मुद्दे जैसे आप्रवास और सुख का रहस्य
आदि तक शामिल है।
सन्त पापा फ्राँसिस कहते हैः "रोम के लोगों में एक कहावत विख्यात
है जिसे हम सन्दर्भ बिन्दु के तौर पर ले सकते हैं, वे कहते हैः काम्पा ए लाश्या कम्पा....
जियो और जीने दो।" सन्त पापा ने कहाः "यही सुख का, खुशी का, शांति का पहला कदम है।"
आर्जेन्टीना
के उपन्यासकार रिकार्दों ग्वीराल्देस द्वारा लिखी पंक्तियों को उद्धृत कर उन्होंने कहाः
युवाकाल में व्यक्ति कहता है कि वह चट्टानी धारा पर था, वयस्क अवस्था में वह बहती नदी
की तरह किन्तु वृद्धावस्था में उसने महसूस किया कि सबकुछ "रेमान्सादो" यानि मन्द हो चला
है, सबकुछ शान्त होता जा रहा है।" सन्त पापा ने कहा कि उपन्यासकार रिकोर्दो की इस छवि
द्वारा वे अपने आप को प्रस्तुत करना पसन्द करेंगे "रेमान्सादो, मन्द गति से किन्तु कोमलता,
उदारता , विनम्रता एवं शान्त भाव से जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहना।"
सन्त पापा ने
भेंटवार्ता में मनोरंजन के महत्व को भी रेखांकित कियाः पुस्तक पढ़ना, बच्चों के साथ खेलना,
रविवार का दिन उनके साथ मनाना आदि। उन्होंने कहा, "बुयेनुस आयरस में कई बार मैंने युवा
माताओं से प्रश्न किया था कि कितनी बार वे अपने बच्चों के साथ खेलती हैं।"
उन्होंने
कहा, "यह एक कठिन प्रश्न था क्योंकि माता पिता नौकरी पर जाते हैं, घर लौटते हैं, भोजन
आदि की व्यवस्था करते हैं और दिन निकल जाता है। बच्चों के साथ समय बिताने के लिये उनके
पास समय ही नहीं बचता।"
युवाओं के विषय में सन्त पापा ने कहा कि इस समय रोज़गार
पाने हेतु युवाओं की मदद करना नितान्त आवश्यक है क्योंकि काम न मिलने पर बहुत से युवा
मादक पदार्थों के व्यसनी हो जाते हैं और कभी कभी आत्महत्या भी कर बैठते हैं।
विश्व
में जारी अनेक युद्धों पर उन्होंने गहन चिन्ता व्यक्त की और कहाः "युद्ध मानवजाति की
पराजय है, युद्ध से सबकुछ नष्ट हो जाता है, हमें शांति हेतु अपनी आवाज़ बुलन्द करनी चाहिये।"