श्रोताओं के पत्र 2.2.14 सुप्रभात एवं आज का दिन आपके लिए मुबारक हो, लम्हों
की एक किताब है जिंदगी, सांसों और ख्यालों का हिसाब है जिंदगी। कुछ जरूरतें पूरी
कुछ ख्वाईश अधुरी, बस इन्हीं सवालों का जवाब है जिंदगी। ईश्वर आप को आशीष दे। डॉ.
हेमान्त कुमार, प्रियदर्शनी रेडियो लिस्नर्स क्लब, गोराडीह भागलपुर। पत्र- 170714 साहब
आप जानते हैं कि मैं लम्बे समय से आपका श्रोता रहा हूँ। मैं सन् 1989 ई. से ही वाटिकन
रेडियो सुन रहा हूँ किन्तु आप मुझे प्रमुख श्रोताओं की सूची में शामिल नहीं करते तथा
हमेशा मुझे टालते हैं। आप क्यों मेरे लिए कोई मुल्यवान वस्तु नहीं भेजते हैं। क्या आप
मेरे व्यक्तिगत प्रयोग हेतु एक डीजिटल रेडियो या एम पी 3 प्लेयर भेज सकते हैं? दीवान
रफिकुल इस्लाम साहब (राना), फ्रेंडस रेडियो लिस्नर्स क्लब, नाउगाँव पातीर मोड़, बंगलादेश। पत्र-
5.7.14 आदणीय फादर जी, मैं वाटिकन रेडियो हिंदी सेवा का एक नियमित श्रोता हूँ जब
किसी दिन कार्यक्रम नहीं सुन पता तो रात्रि में नींद नहीं आती है| विद्यानन्द रामदयाल,
पियर्स मोरिसस।
पत्र- मैं वाटिकन भारती पत्रिका का फरवरी अंक 2014 पढ़ा। यह ज्ञानवधर्क
एवं सार्थक है। अन्तर कलीसियाई एकता की चर्चा भी पढ़ा काफी अच्छा लगा। कुरिन्थियों को
डांटते हुए प्रेरित संत पौलुस हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि हम आनन्द मनाएँ, उस आध्यात्मिक
वरदानों के साथ जिसे ईश्वर ने हमें दिया है। संत पौलुस कहते हैं कि प्रत्येक ख्रीस्तीय
को ईश्वर का वरदान प्राप्त है जो हमारे जीवन को समृद्ध करता है। हमें निर्णय क्षमता और
पश्चाताप की आवश्यकता है। फादर जी हमने वाटिकन भारती पत्रिका को स्थानीय चर्च और लोगों
के बीच वितरण किया है तथा लोग बड़े चाव से इसे पढ़ रहे हैं। मैं वाटिकन रेडियो को सुनने
को जागरूक कर रहा हॅूं। आपके सहयोग के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद। बिहार स्थित अपोलो रेडियो
लि. क्लब ढोली सकरा से दीपक कुमार दास।