मुम्बईः काथलिक समूह ने किया समान नागरिक संहिता प्रस्ताव का विरोध
मुम्बई, 21 जुलाई सन् 2014 (ऊका समाचार): मुम्बई के एक काथलिक समूह ने राष्ट्र में समान
नागरिक संहिता लागू किये जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है, जिसके तहत ख्रीस्तीयों एवं
मुसलमानों के लिये विवाह एवं दायभाग आदि के लिये स्वयं अपने व्यक्तिगत कानून रखना समाप्त
हो जायेगा। कैथोलिक सेक्युलर फोरम (सीएसएफ) के महासचिव जोसेफ डायस ने एक वकतव्य
प्रकाशित कर कहा कि ख्रीस्तीय धर्मानुयायी "यूनीफॉर्म सिविल कोड" अर्थात् समान नागरिक
संहिता (यूसीसी) के खिलाफ हैं इसलिये कि यह अल्पसंख्यकों के हित में नहीं है।
श्री
डायस का बयान इस रिपोर्ट के बाद आया कि सुप्रीम कोर्ट के सुझाव तथा भाजपा के घोषणा पत्र
के अनुकूल केन्द्रीय कानून मंत्री यूसीसी का प्रस्ताव करनेवाले हैं।
डायस ने
कहा कि काथलिक कलीसिया के पास कलीसियाई विधान संहिता है जिसका अनुपालन सम्पूर्ण विश्व
में किया जाता है तथा जिसके अनुसार ही विवाह, विवाह शून्यन तथा दायभाग जैसे मुद्दों पर
विचार किया जाता है।
उन्होंने कहा, "सरकार का यह कदम धर्मपालन की स्वतंत्रता
के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है है तथा यह आभास दिलाता है कि धार्मिक नेतृत्व के अधिकार
को कमजोर कर भाजपा अल्पसंख्यकों को अपने नियंत्रण में रखना चाहती है।
उन्होंने
कहा, "यदि यूसीसी पर विचार करने की ज़रूरत है, तो इसे, वैकल्पिक या स्वैच्छिक होना चाहिये।
श्री डायस ने इस बात की ओर भी ध्यान आकर्षित कराया कि निजी कानून न्याय सुनिश्चित
करने में महान भूमिका अदा करते हैं क्योंकि प्रायः सरकारें एवं प्रणालियाँ कानूनी मामलों
एवं उनकी अप्रभावी मध्यस्थता के बीच दीर्घकाल तक संघर्ष करती रहती हैं।
श्री
डायस ने कहा, "भाजपा ने यूसीसी पर आम सहमति नहीं ली है तथा एकतरफा घोषणा की है। यूसीसी
के बारे में उसके विचारों से हम अन्नभिज्ञ हैं तथा इस बात से भी कि वह किस प्रकार देश
के विभिन्न क्षेत्रों में सांस्कृतिक एवं धार्मिक विविधताओं के लिये प्रावधान बनायेगी।