2014-07-21 16:41:12

ईश्वर व्यक्ति के जीवन रुपी खेत में बड़े धीरज एवं करुणा से नज़र डालते


वाटिकन सिटी, सोमवार 21 जुलाई 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 20 जुलाई को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,
अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
सुप्रभात,
इस रविवार का धर्म विधिक पाठ कई दृष्टांतों को प्रस्तुत करता है। ये लघु कहानियाँ हैं जिनका प्रयोग येसु ने भीड़ के सम्मुख स्वर्गराज्य की घोषणा करने हेतु किया। उन में से, आज के सुसमाचार पाठ में येसु ने गेहूँ के अच्छे बीज एवं जंगली बीज के दृष्टांत द्वारा अपने शिष्यों के समक्ष दुनिया में बुराई की समस्या और ईश्वर के धीरज के मर्म को प्रकाशित किया।
दृष्टांत स्थल खेत है जहाँ खेत का मालिक गेहूँ का बीज बोता है किन्तु एक रात दुश्मन आता तथा खेत में जंगली बीज बोकर चला जाता है। दुश्मन अर्थात् शैतान जो हिब्रू में विभाजन के लिए प्रयुक्त है। नौकर शीघ्र जंगली घास उखाड़ सकते थे किन्तु मालिक ने मना कर दिया, यह कहते हुए, ″नहीं, कहीं ऐसा न हो कि जंगली बीज बटोरते समय तुम गेहूँ भी उखाड़ डालो। कटनी तक दोनों को साथ-साथ बढ़ने दो।″ (मती.13꞉29)
दृष्टांत से दो प्रकार की शिक्षा मिलती है꞉ पहली- संसार में बुराई ईश्वर से नहीं किन्तु दुश्मन यानी शैतान से आती है। यह दुश्मन धूर्त है वह जंगली बीजों को अच्छे बीजों के बीच बो देता है जिसके कारण मनुष्यों को अच्छाई और बुराई को अलग करना कठिन हो जाता है किन्तु अंत में ईश्वर की मदद से यह सम्भव है।

दूसरी शिक्षा है नौकरों में धीरज का अभाव तथा खेत के मालिक जो ईश्वर हैं उनका अत्यन्त धीरज से इंतजार करना। संत पापा ने कहा कि कई बार हम शीघ्र निर्णय करते हैं, अच्छे को इस ओर बुरे को उस ओर किन्तु उससे ऊपर ईश्वर जानते हैं तथा इंतजार करते हैं। वे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन रुपी खेत में बड़े धीरज एवं करुणा से नज़र डालते हैं। वे हमारी बुराईयों से ज़्यादा हम पर नजर रखते हैं, साथ ही साथ वे अच्छाई के बीज को भी देखते हैं तथा आत्मविश्वास के साथ उसे बढ़ने देते हैं। ईश्वर अत्यन्त धैर्यवान हैं तथा हमारा इंतजार करते हैं।

दृष्टांत में मालिक का मनोभाव आशामय है जो उस निश्चितता पर टिका है कि बुराई न तो पहला और न तो अंतिम शब्द है। हम ईश्वर की धैर्यपूर्ण आशा के लिए धन्यवाद दें क्योंकि शोक अंत में गेहूँ में बदल जाता है। संत पापा ने कहा, किन्तु हम सावधान रहें धीरज बुराई के प्रति सुसमाचारी उदासीनता नहीं है। अच्छाई और बुराई के बीच भ्रम में न पड़ें। संसार के दुखों के बीच प्रभु के शिष्यों को उनके धीरज का अभ्यास करना है, विश्वास में अडिग रहकर अच्छाई की अंतिम विजय के लिए आशावान बनना है जो स्वयं ईश्वर हैं।
अंत में, वास्तव में, कटनी के समय बुराई हटा दी जाएगी, वही है महाविचार। खेत लुनना वाले नौकर मालिक की आज्ञाओं का पालन करते हुए अच्छाई से बुराई अलग कर देंगे। कटनी के उस दिन अंतिम निर्णय येसु का होगा जिसने अच्छी बीज खेत में डाली थी जिन्होंने खुद गेहूँ का बीज बनकर मरा और फिर जी उठा है। अंत में हमारे साथ भी यही होगा। जो दया हम अन्यों पर दिखाते हैं वही हम पर भी दिखाई जायेगी। हम हमारी माता धन्य कुँवारी मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें कि धैर्य, आशा और करूणा के सदगुणों में बढ़ सकें।
इतना कहकर संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने ईराक के मोसुल स्थिति ख्रीस्तीय समुदाय एवं मध्य पूर्व के अन्य इलाकों के ख्रीस्तीयों की स्थिति के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म की शुरूआत से ही ख्रीस्तीयों ने देश के सह-नागरिकों के साथ निवास किया है तथा समाज को अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि उनके लिए प्रार्थना करें। मैं आप लोगों से यह भी अपील करता हूँ कि विश्व के अन्य स्थानों में हो रहे संघर्ष खासकर, मध्यपूर्व एवं यूक्रेन के लिए प्रार्थना करना जारी रखें। शांति का ईश्वर सभी लोगों को वार्ता एवं समझौते हेतु प्रेरित करे। हिंसा पर हिंसा द्वारा विजय प्राप्त नहीं की जा सकती। हिंसा को शांति द्वारा ही जीता जा सकता है।
अंत में संत पापा ने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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