2014-07-19 09:57:29

वाटिकन सिटीः विश्व के मुसलमानों को वाटिकन ने प्रेषित किया ईद अल-फित्र पर शुभकामना सन्देश


वाटिकन सिटी, 18 जुलाई सन् 2014 (सेदोक): "यथार्थ भाईचारे की ओर अग्रसर ख्रीस्तीय और मुसलमान" शीर्षक से रमादान, ईद आल-फ्रित्र, के समापन पर परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक वार्ता परिषद ने विश्व के इस्लाम धर्मानुयायियों के नाम शुभकामना सन्देश प्रेषित किया।
वाटिकन से प्रेषित सन्देश इस प्रकार हैः

"प्रिय मुसलमान भाइयो एवं बहनो,
उपवास, प्रार्थना तथा ज़रूरतमन्दों की सहायता को समर्पित, रमादान महीने के समापन पर, ईद आल-फित्र के शुभ अवसर पर आपके प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करते मैं हर्षित हूँ। विगत वर्ष, अपने प्रथम परमाध्यक्षीय कालीन वर्ष में, सन्त पापा फ्राँसिस ने स्वयं ईद आल-फित्र के उपलक्ष्य में आपको सम्बोधित सन्देश पर हस्ताक्षऱ किये थे। एक अन्य अवसर पर, उन्होंने आपको "हमारे भाई-बहन" (देवदूत सन्देश, 11 अगस्त 2013) कहकर सम्बोधित किया था। हम सब इन शब्दों के पूर्ण अर्थ को पहचान सकते हैं। वस्तुतः, ख्रीस्तीय एवं इस्लाम धर्मानुयायी एक ईश्वर द्वारा सृजित, एक मानव परिवार में भाई बहन हैं।

1982 में, सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने मुसलमान नेताओं से जो शब्द कहे थे उनका हम स्मरण करें, उन्होंने कहा थाः "हम सब, इस्लाम एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायी, एक ही करुणामय पिता के सूर्य के नीचे जीवन यापन करते हैं। हम दोनों का विश्वास है कि ईश्वर एक हैं जो मानव के सृष्टिकर्त्ता हैं। ईश सेवक होने के नाते हम ईश्वर की सर्वसत्ता घोषित करते तथा मानव प्रतिष्ठा की रक्षा करते हैं। हम ईश्वर की आराधना करते तथा उनके प्रति पूर्णतः समर्पित रहते हैं। इस प्रकार, यथार्थ भाव में, हम एक दूसरे को एक ईश्वर में विश्वास करनेवाले भाई बहन कह सकते हैं।" (कादूना, नाईजिरिया, 14 फरवरी सन् 1982)।

अपने मतभेदों के प्रति जागरुक रहते हुए हममें जो कुछ भी सामान्य है उसके लिये हम सर्वशक्तिमान् को धन्यवाद देते हैं। आपसी सम्मान एवं मैत्री पर निर्मित सार्थक संवाद को प्रोत्साहन देने के महत्व को हम भली भाँति समझते हैं। अपने साझा मूल्यों से प्रेरित होकर तथा वास्तविक भाई चारे का भावना से मज़बूत होकर हम प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा एवं उसके अधिकारों के लिये न्याय, शांति एवं सम्मान के हित में एक साथ मिलकर काम करने के लिये बुलाये गये हैं। ज़रूरतमन्दों के प्रति विशेष रूप से हम अपनी ज़िम्मेदारी को महसूस करते हैं, जिनमें निर्धन, रोगी, अनाथ, आप्रवासी, मानव तस्करी के शिकार लोग तथा किसी भी प्रकार की आसक्ति से पीड़ित व्यक्ति शामिल हैं।

जैसा कि हम जानते हैं, समसामयिक विश्व गम्भीर चुनौतियों का सामना कर रहा है जिसके लिये सभी शुभचिन्तकों की एकात्मता आवश्यक है। इन चुनौतियों में पर्यावरण पर बना ख़तरा, विश्वव्यापी अर्थव्यवस्था का संकट तथा विशेषकर युवाओं में व्याप्त उच्च स्तरीय बेरोज़गारी शामिल है। इस प्रकार की स्थितियाँ दुर्बलता की भावना एवं भविष्य के लिये आशा के अभाव को उत्पन्न करती हैं। उन समस्याओं को भी हम न भुलायें जिनका सामना अलग हुए अनेकानेक परिवार कर रहे हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को और प्रायः नन्हें बच्चों को पीछे छोड़ दिया है।

अस्तु, आइये शांति एवं पुनर्मिलन के सेतुओं के निर्माण हेतु हम एक साथ मिलकर काम करें, विशेष रूप से, उन क्षेत्रों में, जहाँ, मुसलमान एवं ख्रीस्तीय दोनों ही युद्ध की बीभत्सता का सामना कर रहे हैं। हमारी मैत्री, हमें, विवेक एवं सूझ-बूझ के साथ, इन चुनौतियों का सामना करने में सहयोग हेतु प्रेरित करे। इस प्रकार हम तनाव एवं संघर्ष को कम करने में मदद दे पायेंगे तथा जन कल्याण में विकास कर सकेंगे। हम यह भी दर्शा सकेंगे कि धर्म समस्त मानव समाज के हित में मैत्री का स्रोत हो सकता है। हम प्रार्थना करें कि सम्पूर्ण मानव परिवार की भलाई एवं कल्याण के लिये पुनर्मिलन, न्याय, शांति एवं विकास हमारी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रहेंगे। सन्त पापा फ्राँसिस के साथ मिलकर, एक खुशहाल उत्सव तथा शांति में समृद्धि के जीवन की सौहार्द्रपूर्ण शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए हम अत्यधिक प्रसन्न हैं।

वाटिकन से, 24 जून 2004
कार्डिनल जॉँ लूई तौराँ अध्यक्ष
फादर मिगेल आन्जेल आयुसो गिक्सो, एमसीसीजे सचिव
परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक संवाद परिषद









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