ईसाई और मुस्लिम भ्रातृभाव से मानव मर्यादा के कार्य करें
वाटिकन सिटी, वीआर शुक्रवार 18 जुलाई, 2014 (सेदोक,वीआर) अन्तरधार्मिक वार्ता के लिये
बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जाँ लूइस तौराँ ने 28 जुलाई को रमादान की
समाप्ति पर मनाये जाने वाले ईद उल फित्र के लिये मुस्लिम बंधुओं को बधाइयाँ और शुभकामनायें
दी है।
वाटिकन से प्रकाशित अपने संदेश में उन्होंने कहा है कि संत पापा ने मुस्लिमों
को अपना भाई और बहन कहा जो कि सत्य है। ख्रीस्तीय और मुस्लिम एक मानव परिवार के सदस्य
हैं और एक ही ईश्वर द्वारा सृष्ट किये गये हैं। हम सब एक ही दयालु ईश्वर की द्वारा रचित
धऱा में निवास करते हैं और दोनों समुदाय यह विश्वास करते हैं कि ईश्वर ने मानव की सृष्टि
की है।
उन्होंने संत पापा जोन पौल द्वितीय की बातों की याद दिलाते हुए कहा कि
मुस्लिम और ईसाई दोनों ही ईश्वर की सम्प्रभुता का घोषणा करते और मानव मर्यादा को ईश्वर
के सेवक के रूप में रक्षा करते हैं। हम ईश्वर की आराधना करते हैं और उसके प्रति पूर्ण
रूप से समर्पित हो जाते हैं। और इसी लिये हम एक ईश्वर पर विश्वास करते हुए एक-दूसरे को
भाई-बहन कह सकते हैं।
संदेश में कहा गया है उन्होंने आशा व्यक्त की है कि आपसी
सम्मान और मित्रता के भाव से फलदायी वार्ता अति महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा
कि हमें चाहिये कि मूल्यों के आधार पर सच्चे भ्रातृत्व के भाव को मजबूत करते हुए हम न्याय,
शांति और व्यक्ति के अधिकार और मर्यादा के लिये कार्य करें।
संदेश में अध्यक्ष
ने कहा है कि आज हमारा दायित्व है कि हमें विशेष रूप से उनके लिये कार्य करें जो ग़रीब
हैं, बीमार अनाथ, प्रवासी, मानव-तस्करी और विभिन्न प्रकार की कुव्यसनों से जुड़े हुए
हैं।
उन्होंने इस बात का भी आह्वान किया कि हम दुनिया की समस्याओं के प्रति सब
जागरुक हों जैसे पर्यावरण, विश्व अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी जो युवाओं में असुरक्षा
की भावना और निराशा पैदी करतीं हैं।
कार्डिनल तौराँ ने आशा व्यक्त की है कि ईसाई
और मुसलमान एक साथ मिल कार्य करेंगे और शांति और मेल-मिलाप की सेतु बनायेंगे ताकि जहाँ
भी दोनों समुदाय एक साथ जीते हैं वहाँ वे युद्ध के भयंकरता से बच पायेंगे। दोनों समुदाय
दुनिया की चुनौतियों का सामना प्रज्ञा और दूरदर्शिता से कर सकेंगे।