बगदाद, इराक, मंगलवार 15 जुलाई, 2014 (सीएनए) इराक के किरकुक के कालिडियन महाधर्माध्यक्ष
यूसूफ मिरकिस ने इराक में तेजी से बदलती परिस्थितियों में ईसाइयों के लगातार पलायन पर
चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि अगर ईसाई पलायन की यही स्थिति रही तो एक दिन इराक ईसाई
विहीन हो जायेगा।
महाधर्माध्यक्ष ने सीएनए को बताया कि उन्हें भय है कि इराक
से ईसायत समाप्त हो जायेगा। हम एक ऐसी प्रक्रिया में हैं जब तुर्की, साउदी अरब और उत्तर
अफ्रीका के समान ही इराक से ख्रीस्तीय समाप्त हो जायेंगे। लेबनान की स्थिति भी ऐसी है
जहाँ ईसाई अल्पसंख्यक हो गये हैं।
महाधर्माध्यक्ष मिरकिस ने कहा कि हम निराशावादी
नहीं है पर यथार्थवादी बन कर चिन्तन कररहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके दिल में एक
विश्वास है उसी के आधार पर उनकी आशा है कि कुछ ईसाई इराक में बचे रहेंगे। उनकी भी इच्छा
है कि वे इराक में ही रहें।
उन्होंने बतलाया कि पिछले दस सालों में विभिन्न आक्रमणों
में एक धर्माध्यक्ष छः पुरोहित और करीब एक हज़ार ईसाइयों की मौत हो चुकी है।
संयुक्त
राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार पिछले जून महीने में आतंकवादी आक्रमणों में 2 हज़ार
400 इराकियों की मौत हुई जिसमें 1, 500 आम आदमी थे। हिंसा के कारण करीब 1 मिलियन लोगों
ने इराक छोड़ अन्य देशों में शरणार्थी बन गये हैं।
उन्होंने बतलाया कि सन् 2003
में इराक पर अमेरिका के युद्ध छेड़ने के पूर्व करीब 1. 5 मिलियन ईसाई थे जो अब 4 लाख
रह गये हैं। महाधर्मध्यक्ष मिरिकिस ने कहा है कि इराक से ख्रीस्तीयों का सफाया हो
जाने से इराक की सामाजिक व्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ेगा क्योंकि ईसाइयों ने अपने प्रार्थनालय
के साथ-साथ कई स्कूल और संस्थाओं का संचालन करते थे और खुले दिल से लोगों की सेवा करते
थे। शिक्षण संस्थाओं के समाप्त हो जाने से कई मेडिकल विशेषज्ञ, इंजीनियर, बुद्धिजीवी,
लेखक और पत्रकार भी दूसरे देशों की ओर पलायन कर जायेंगे।
महाधर्माध्यक्ष का मानना
है कि आतंकवाद का उत्तर है वार्ता। सम्पूर्ण मुस्लिम समुदाय भी अतिवादी नहीं है पर अतिवादियों
के हाथों अपह्रत होता जा रहा है।