2014-06-27 15:18:52

आप येसु का अनुसरण क्यों करते हैं


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 27 जून 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 26 जून को पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कहा कि लोग येसु का अनुसरण करते हैं क्योंकि वे उसे भले गड़ेरिये के रूप में पहचानते हैं।
उन्होंने उन लोगों को चेतावनी दी जो विश्वास को नैतिक मूल्य, राजनैतिक स्वतंत्रता अथवा अधिकार तक ही सीमित कर देते हैं।
संत पापा ने संत मती. रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया। उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″आप सभी येसु का अनुसरण क्यों करते हैं? उन्होंने स्वयं उसका उत्तर देते हुए कहा क्योंकि आप उनकी शिक्षा से प्रभावित हैं।″ येसु का वचन लोगों के हृदय को विस्मय से भर देता था।
संत पापा ने उन चार प्रकार के लोगों के बारे बतलाया जो येसु के समय में जाने जाते थे। पहले प्रकार के लोग थे फरीसी। फरीसी धर्म के ज्ञाता माने जाते थे वे ईश्वर की पूजा को नियम पालन मानते थे तथा नियमों का विस्तार करते जाते थे। उन नियमों का बोझ वे लोगों की पीठ पर लाद देते थे। संत पापा ने कहा कि जीवन्त ईश्वर पर विश्वास को नीतियों या नियमों के पालन तक ही वे सीमित कर देते थे। वे ईश वचन पर विश्वास तो करते किन्तु उसपर नहीं चलते। वे बड़ों का आदर तो करते किन्तु उनकी बातों को नहीं मानते थे। उदाहरण के लिए, कई लोग मंदिर में दान देने हेतु अपने बूढ़े माता-पिता को भोजन देने से इन्कार करते थे।
दूसरे प्रकार के लोगों को ‘सदुकी’ के नाम से जाना जाता था। जिन्होंने विश्वास को खो दिया था तथा उसे अपना धंधा बना दिया था। राजनीतिक एवं आर्थिक बातों में उन्हीं का दबदबा चलता था।
तीसरे प्रकार के लोग क्रांतिकारी प्राकृति के थे। वे रोमियो के बंधन से इस्राएल को मुक्त करना चाहते थे। चौथे प्रकार के लोगों के बारे में संत पापा ने कहा कि वे एसेंस कहे जाते थे जो भले लोग थे। वे ईश्वर के लिए समर्पित थे तथा मठवासी जीवन व्यतीत करते थे किन्तु वे लोगों से दूर थे अतः लोग उनका अनुसरण नहीं कर पाते थे।

संत पापा ने कहा, ″वे लोगों के आवाज थे किन्तु लोगों के हृदय को पसीज नहीं सकते थे। जब येसु ने आवाज दी तो लोगों ने आश्चर्य किया क्योंकि उन्होंने येसु की वाणी में अपने हृदय के अंदर उष्मता का एहसास किया। यह इसलिए क्योंकि येसु ने लोगों की कठिनाईयों को समझा था, वे पापियों के साथ बातें करने से लज्जित नहीं थे, वे उन्हें ढूढ़ने जाते थे तथा पाने पर आनन्दित होते थे। संत पापा ने कहा कि येसु भले गड़ेरिये हैं जिसकी आवाज भेड़ पहचानती तथा उसका अनुसरण करती है।
संत पापा ने कहा कि येसु लोगों से दूर नहीं थे और न ही पिता से दूर थे। वे पिता के साथ एक थे और इस संबंध के कारण उन्हें अधिकार भी था। अतः लोग उनका अनुसरण करते थे।
संत पापा ने चिंतन हेतु प्रश्न किया, ″मैं किसका अनुसरण करना चाहता हूँ? क्या ऐसे लोगों का जो अस्पष्ट नीति की बात करते हैं, ईश प्रजा की बात करते, जिन्हें विश्वास नहीं है किन्तु राजनीतिक समझौता करते, जिनके पास आर्थिक शक्ति है।″








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