वाटिकन सिटी, बुधवार 25 जून, 2014 (सेदोक, वी.आर.)꞉ बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व
के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया। उन्होंने इतालवी
भाषा में कहा, ″ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षामाला
को जारी रखते हुए, हम पुराने व्यवस्थान में, ईश्वर द्वारा अपने लिए एक प्रजा एकत्र करने
एवं निर्धारित समय पर समस्त मानव जाति के लिए अपने पुत्र को भेज कर, एकता के चिन्ह स्वरूप
कलीसिया का निर्माण करने पर चिन्तन करें।″ ईश्वर हम प्रत्येक को अपने बृहद परिवार
में शामिल होने का निमंत्रण देते हैं। हम में से कोई भी अपने आप में ख्रीस्तीय नहीं है,
जब तक कि ईश्वर के साथ हमारा संबंध न हो। हमने कई लोगों के माध्यम से इस विश्वास को पाया
है, जैसे हमारे माता-पिता, दादा-दादी, हमारे पुरोहित, धर्मसमाजी एवं शिक्षक आदि। उन्होंने
हमें बपतिस्मा संस्कार दिलाया, प्रार्थना करना सिखलाया एवं ख्रीस्तीय जीवन की सुन्दरता
से हमें अवगत कराया, किन्तु हम उनके कारण नहीं, वरन् उनके साथ ख्रीस्तीय हैं। ख्रीस्त
के साथ हमारा संबंध व्यक्तिगत है न कि निजी। इसकी उत्पति एवं विकास कलीसियाई समुदाय द्वारा
हुई है। विश्वास के मार्ग में एक साथ यात्रा सरल नहीं है क्योंकि हममें मानवीय कमजोरियाँ
हैं, सीमाएँ हैं इतना तक कि कलीसिया के इतिहास में कलंक भी हैं। इन सब के बावजूद ईश्वर
ने हमें बुलाया है कि हम उन्हें जाने, अपने भाई-बहनों को प्यार करने के द्वारा उन्हें
प्यार करें, कलीसिया की सहभागिता में सुदृढ़ रहें तथा सभी चीजों में विश्वास की खोज करें
तथा ख्रीस्त के शरीर के एक अंग रूप में पवित्रता में बढ़ने का प्रयास करें। इतना
कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। धर्मशिक्षा माला समाप्त करने के उपरांत
उन्होंने भारत, इंगलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, नाइजीरिया,
आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड, जापान, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया,
हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार
के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना
करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।