2014-06-25 15:37:55

18 जून 2014


श्रोताओं के पत्र

पत्र- आदरणीय पिताजी आप सभी को प्रभु येसु के नाम में मेरा नमस्कार। आज आप के कार्यक्रम में सत्य प्रकाशन केंद्र इंदौर द्वारा प्रस्तुत नाटक ‘बुझने न पाये घर का चिराग’ सुना नाटक काफी अच्छा है सभी कलाकारों को मेरी ओर से बधाई|
विद्यानन्द रामदयाल, पियर्स मोरिसस।

पत्र –
माननीय फादर जस्टिन, मिस जुलिएट एवं सिस्टर उषा आप तीनों एवं वाटिकन रेडियो से जुड़े सभी लोगों को मेरा प्रणाम।
कहते हैं, ″जहाँ चाह वहाँ राह।″ मैंने आज अपने रेडियो सेट से वाटिकन रेडियो की संध्या प्रसारण, नई दिशाएँ और चेतना जागरण कार्यक्रम सुना। मुझे इतनी खुशी हुई कि मैं ये ई मेल तमिल प्रसारण सुनते-सुनते आपको भेज रहा हूँ। मुझे फिर एक बार एहसास हुआ है कि हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से हमें बड़ी सफलताएँ मिलती हैं, बस हम प्रयास करते रहें। प्रसारण जरूर बहुत साफ नहीं है पर संतुष्टि हुई कि आज वाटिकन रेडियो प्रसारण आज मैंने लाइव सुना, ईश्वर को और साथ ही मेरे उस उपकारक को बहुत-बहुत धन्यवाद जिन्होंने मुझे यह रेडियो सेट उपहार स्वरूप दिया है। सप्रेम आपका फादर सिप्रियन।
फादर सिप्रियन खलखो, कैम्पबेल बे, अन्डमान निकोबार।

पत्र- आज पर्यावरण की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है। आबादी बढ़ने से जंगल व पेड़ोँ से भरे-पूरे इलाके खत्म होकर आबादी वाले इलाकोँ मेँ तब्दील होते जा रहे हैँ। कल-कारखानोँ के धुएं पर्यावरण को गर्म बना रहे हैँ। इससे मौसम असंतुलित हो रहा है। अतिवृष्टि और अनावृष्टि हमारी आम समस्या बन गई है। धरती के नीचे जल का तल और नीचे चला गया है। फलस्वरुप कुएं व चापानल से पानी प्राप्त करने मेँ मुश्किलेँ आ रही हैँ। अतः अधिक से अधिक पेड़ लगाना तथा वर्षा जल जमा करना निहायत ज़रूरी हो गया है। हम सभी को इस कार्य मेँ बढ़-चढ़ कर हाथ बंटाना चाहिए।
डॉ. हेमान्त कुमार, प्रियदर्शनी रेडियो लिश्नर्स क्लब के अध्यक्ष, गोराडीह भागलपुर, बिहार।









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