2014-06-11 18:07:22

ईशभय या ईश्वर का


वाटिकन सिटी, बुधवार11 जून, 2014 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्राँगण में, विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।
उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पवित्र आत्मा के सात वरदानों पर धर्मशिक्षामाला को जारी रखते हुए हम आज हम पवित्र आत्मा सातवें और अन्तिम वरदान – ईशभय या ईश्वर से डरना पर चिन्तन करें।
हम जानते हैं कि यह गुलामी का डर नहीं है पर ईश्वर की उस महिमापूर्ण उपस्थिति और आनन्द और कृतज्ञतापूर्ण अहसास का जो सिर्फ सृष्टिकर्ता के प्रति ही हो सकता है जो हमारे ह्रदय को सच्ची शांति दे सकते हैं।
ईशभय से हम येसु के समान येसु के समझ छोटे बच्चों के समान बन जाते हैं और ईश्वरीय अच्छाई और स्वर्गीय पिता की संरक्षा पर पूर्व आस्था करने लग जाते हैं।
और तब पवित्र आत्मा हमें ईशवचन को सुनने और उसमें बने रहें की शक्ति प्रदान करता है। ईशभय का अर्थ यह भी है कि हम ईश्वर के प्रति सतर्क रहते हैं और दुनियावी पापों के प्रति सचेत हो जाना क्योंकि एक दिन हमें अपने कार्यों का लेखा-जोखा ईश्वर के सामने देना होगा।
जब हम दूसरों का उपयोग चीज़ के समान करते हैं, पैसे के लिये जीते हैं दुनियावी मज़े के लिये जीते और ईश्वर का नाम व्यर्थ लेते हैं तो हम अपने आपको बरबाद करते हैं। ऐसे समय में यह आध्यात्मिक मदद हमे सहारा देतै है और हमारा मार्गदर्शन करता है।
आज हम प्रार्थना करें कि ईशभय पवित्र आत्मा के अन्य वरदानों के साथ हमारे विश्वास को नया कर दे ताकि हम इस बात को सदा याद रखें कि ईश्वर में ही हमें पूर्ण खुशी, स्वतंत्रता और संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं।

इतना कह कर, संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने लोगों पर पवित्र आत्मा के वरदान उतरने के लिये प्रार्थना की ।
उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेल्स, वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, पाकिस्तान फिनलैंड, अमेरिका, ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. जापान, उगान्डा, मॉल्टा, डेनमार्क कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, हॉंन्गकॉंन्ग, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा पुनर्जीवित प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।









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