वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 5 जून 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत
मार्था के प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने 5 जून को पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया।
संत पापा ने प्रवचन में कहा कि कलीसिया कठोर नहीं किन्तु स्वतंत्र है। प्रवचन
में संत पापा ने संत योहन रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु कलीसिया के लिए
प्रार्थना करते हैं तथा अपने शिष्यों के लिए पिता से अर्जी करते हैं कि उनके बीच फूट
और झगड़े न हो। उन्होंने उन लोगों को चेतावनी दी जो अपने को कलीसिया के सदस्य मानते
किन्तु एक पाँव कलीसिया में और दूसरा बाहर रखते हैं जिससे कि वे दोनों का लाभ प्राप्त
कर सकें। संत पापा ने कहा कि कलीसिया ऐसे लोगों का घर नहीं है जो सोचते हैं कि कलीसिया
एक सराय है। अतः संत पापा ने तीन तरह के ख्रीस्तीयों के बारे बतलायाः पहला, जो सभी को
एक समान रखना चाहता है जिसे दूसरे शब्दों में कठोरता की संज्ञा दी जा सकती है। वे इतने
कठोर हैं के उनके पास पवित्र आत्मा के लिए कोई स्थान नहीं है। वे येसु की शिक्षा एवं
सुसमाचार के बीच संदेह उत्पन्न करते हैं। दूसरा, जो हमेशा अपनी धारणाओं में बने रहना
चाहते हैं। वे अपने विचारों को कलीसिया की शिक्षा के समान बदलना नहीं चाहते। वे कहते
हैं कि हम कलीसिया में प्रवेश करते हैं किन्तु अपने इस सोच के साथ। इस प्रकार कलीसिया
में उनकी सदस्यता अधुरी है। तीसरा, ऐसे ख्रीस्तीय जो अपने को ख्रीस्तीय मानते पर
कलीसिया के केंद्र में प्रवेश नहीं करते हैं। वे जो फायदे की खोज में अपने व्यतिगत लाभ
हेतु गिरजा जाते हैं किन्तु अंत में इसे पेशा बना लेते हैं। संत पापा ने कहा, ″पेशावर
जैसे जादूगर सीमोन तथा अनायास एवं सफीरा की दुर्गति से हम परिचित हैं।″ संत पापा
ने कहा कि कलीसिया में कई प्रकार के वरदान हैं। कई लोग पवित्र आत्मा के वरदानों से विभूषित
हैं। यदि आप कलीसिया में सचमुच प्रवेश करना चाहते हैं तो आप हृदय से प्यार करें तथा उन
वरदानों को बाँटें। व्यक्तिगत लाभ के लिए यहाँ कोई स्थान नहीं है। कलीसिया सराय नहीं
अपितु माता के घर के समान है। संत पापा ने कहा कि यह सहज नहीं है क्योंकि कई प्रलोभन
हैं किन्तु विभिन्नता में भी एकता, स्वतंत्रता और दयालुता आदि ये सभी पवित्र आत्मा के
वरदान हैं। पवित्र आत्मा के वरदान ही हमें कठोर होने से बचा सकता है।