वाटिकन सिटी, सोमवार, 2 जून 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में रविवार 1 जून को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ ‘स्वर्ग की
रानी’ प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों
को सम्बोधित कर कहा, ″ अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, आज इटली एवं अन्य
देशों में येसु के स्वर्गारोहण का त्योहार मनाया जाता है, जो पास्का के चालीस दिनों बाद
आता है। प्रेरित चरित ग्रंथ येसु के प्रेरितों तथा इस दुनिया से अंतिम बिदाई की घटना
का वर्णन प्रस्तुत करता है। (प्रे.च. 1꞉ 2-9)। जब कि संत मती रचित सुसमाचार हमें बतलाता
है कि येसु ने अपने चेलों को अधिकार प्रदान किया कि वे संसार के कोने-कोने में जाकर मुक्ति
के सुसमाचार की घोषणा करें।″ (मत्ती.28꞉16-20) संत पापा ने कहा कि ‘जाना’ या ‘छोड़ना’
शब्द आज के पर्व का मुख्य विषय है। येसु पिता के पास जा रहे हैं तथा वे अपने शिष्यों
को अपना स्थान छोड़कर संसार के कोने-कोने में सुसमाचार की घोषणा हेतु भेज रहे हैं।
संत
पापा ने कहा, ″येसु स्वर्ग चढ़कर पिता के पास वापस जा रहे हैं जहाँ से वे दुनिया में
भेजे गये थे। उन्होंने अपना मिशन पूरा किया है तथा वे पिता के पास लौट रहे हैं किन्तु
यह जुदाई नहीं है बल्कि वे नये रूप में सदा हमारे साथ हैं। अपने पुनरुत्थान एवं स्वर्गारोहण
द्वारा येसु चेलों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करते हैं और हमारा ध्यान भी, यह दिखाने के
लिए कि हमारी यात्रा का अंतिम लक्ष्य ऊँचे स्वर्ग में पिता के पास पहुँचना है। यद्यपि
उन्होंने स्वयं कहा है कि मैं पिता के पास स्थान तैयार करने जा रहा हूँ, तथापि, पवित्र
आत्मा की शक्ति एवं वरदानों द्वारा येसु मानव मुक्ति के कार्यों में सक्रिय रूप से उपस्थित
हैं। आज यह कार्य हमें करना है। हालांकि, हम उन्हें देख नहीं पाते तब भी वे उपस्थित हैं,
वे हमारा साथ देते हैं, हमारा मार्ग दर्शन करते हैं, हमारा हाथ पकड़कर लेते हैं तथा
वे हमें उठाते हैं जब हम गिर जाते।″
संत पापा ने कहा कि पुनजीर्वित ख्रीस्त अत्याचार
एवं भेदभाव के शिकार ख्रीस्तानुयायियों के नजदीक हैं, वे दुःख सह रहे सभी लोगों के करीब
हैं। आज इस प्राँगण में वे हमारे साथ हैं। संत पापा ने उपस्थित भक्तों से प्रश्न किया,
क्या आप इस पर विश्वास करते हैं? हम एक साथ कहें, ईश्वर हमारे साथ हैं।
जब येसु
स्वर्ग में पिता के पास लौटे तो उन्होंने उनके लिए एक उपहार भेंट किया। वह कौन सा उपहार
था? वह उपहार उनका घाव था। उनका शरीर सुन्दर था उसपर कहीं चोट या कोड़े के निशान नहीं
थे किन्तु कीलों के घाव के निशान थे। जब वे पिता के पास वापस लौटे तो उन्होंने उस उपहार
को दिखाते हुए कहा, ″देख पिता, यह है तेरे क्षमादान की कीमत।″ जब पिता येसु के घाव पर
दृष्टि लगाते हैं तब वे हमें क्षमा कर देते हैं इस लिए नहीं कि हम अच्छे हैं किन्तु ख्रीस्त
ने इसका मूल्य चुकाया है। येसु के घाव पर नजर डालते हुए पिता दया से अत्याधिक द्रवित
हो जाते हैं। स्वर्ग में अभी येसु का यही महान काम है। हमारे लिए यह बड़ी खुशी की बात
है कि अब हमें क्षमा मांगने में डरने की आवश्यकता नहीं है, पिता हमेशा क्षमा करते हैं
क्योंकि वे येसु के घाव को देखते हैं।
संत पापा ने कहा कि येसु कलीसिया के माध्यम
से भी उपस्थित है जिसे उन्होंने सुसमाचार प्रचार हेतु भेजा है। अपने चेलों के लिए येसु
का अंतिम वाक्य था , ″तुम लोग जाकर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ।″ (मती.28꞉19) यह स्पष्ट
आदेश है और इसका कोई विकल्प नहीं है। ख्रीस्तीय समुदाय एक ऐसा समुदाय है जो बाहर निकलता
है, इतना तक कि कलीसिया की स्थापना भी बाहर ही हुई थी। आप में से कुछ लोगों के दिमाग़
में सवाल उठ सकते हैं कि एकान्त मठवासी धर्मसमाजी बाहर नहीं निकलते हैं? संत पापा ने
कहा कि वे भी बाहर निकलते हैं, अपनी प्रार्थनाओं द्वारा तथा दुनिया के प्रति उदार बनकर,
बुजुर्गों एवं बीमारों को ईश्वर से जोड़ते हुए। प्रार्थना द्वारा वे येसु के घाव से जुड़े
हैं। अपने मिशनरी शिष्यों से येसु कहते हैं, ″मैं संसार के अंत तक सदा तुम्हारे साथ
हूँ।″ (पद. 20) येसु के बिना खुद अपने से हम कुछ नहीं कर सकते हैं। आवश्यक होने पर भी,
मात्र हमारी शक्ति, क्षमता, और योग्यताएँ प्रेरिताई हेतु पर्याप्त नहीं हैं। ख्रीस्त
एवं पवित्र आत्मा की शक्ति के बिना हमारे सुनियोजित कार्य अधिक प्रभावकारी नहीं हो सकते
हैं इसलिए हम लोगों को बतलाने जाएँ कि येसु कौन हैं। येसु के साथ माता मरिया हमारा साथ
देती हैं। वे हमेशा पिता के घर में वास करती हैं वे स्वर्ग की रानी हैं अतः हम उनसे प्रार्थना
करें। चूँकि वे भी येसु के समान हमारे साथ चलती है अतः वे हमारी आशा हैं।
संत
पापा ने दुःखी हृदय से यूक्रेन एवं मध्य अफ्रीकी गणराज्य से अपील करते हुए कहा, ″मैं
दुःखी हृदय से संघर्ष के शिकार लोगों के लिए प्रार्थना करता हूँ। संघर्ष में संलग्न सभी
दलों से मैं पुनः अपील करता हूँ कि धैर्य, वार्ता तथा समझौते द्वारा ग़ैरसमझदारी दूर
किया जा सकता है। माता मरिया, शांति की महारानी अपनी मध्यस्थता द्वारा हमारी सहायता करें।
शांति की महारानी हमारे लिए प्रार्थना कर। इतना कह कर संत पापा ने ‘स्वर्ग की रानी’
प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।
स्वर्ग की रानी
प्रार्थना के पश्चात् संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को सम्बोधित कर कहा,
″प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज हम सामाजिक संप्रेषण विश्व दिवस मना रहे हैं जिसकी विषयवस्तु
है ‘मेलजोल की संस्कृति की सेवा में संचार।’ इसका अर्थ है सामाजिक सम्प्रेषण मानव जीवन
की प्रतिष्ठा हेतु परिवार की एकता, एकजूटता और समर्पण को प्रोत्साहन प्रदान करता है।
हम प्रार्थना करते हैं कि सम्प्रेषण सेवा अपनी सभी रूपों में, विशेषकर, व्यक्तिगत, सामुदायिक
और राष्ट्रीय स्तर पर आपसी सम्मान एवं एक-दूसरे को ध्यान देने पर आधारित हो। संत पापा
ने कहा कि कल आशाओं की माता कॉल्लेवान्सा को धन्य घोषित किया गया। उनका जन्म स्पेन में
हुआ था तथा बचपन का नाम मरिया जोसेफा अलहामा वलेरा था। वे इटली में हैंडमेडस एवं करूणामय
दया के पुत्रों नामक संस्था के संस्थापक हैं। उनका साक्ष्य ठोस रूप में समाचार पत्रों
के माध्यम से, पिता के असीम प्रेम को कलीसिया में फैलाने हेतु मदद करे। आशाओं की माता
के लिए हम तालिया बजाएँ। अंत में संत पापा ने सभी का अभिवादन किया तथा उन्हें अपनी
प्रार्थना का आश्वासन देते हुए शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित कीं।