कार्डिनल साइमन लूर्दसामी के निधन पर संत पापा का शोक संदेश
वाटिकन सिटी, सोमवार 2 जून 2014 (सेदोक,वीआर) ओरिएन्टल कलीसियाओं के लिये बनी परमधर्मपीठीय
संघ के सेवानिवृत्त प्रीफेक्ट लूर्दसामी साइमन कार्डिनल डूरयसामी का निधन पर संत पापा
फ्राँसिस ने गहरा दुःख व्यक्त किया है।
संत पापा ने पॉन्डिचेरी और कुद्दालोर
के के महाधर्माध्यक्ष को प्रेषित अपने पत्र में उन्होंने कहा, " मैं पॉन्डिचेरी महाधर्मप्राँत
के महाधर्माध्यक्ष, पुरोहितों, धर्मसमाजियों और विश्वासियों के प्रति अपनी सहानुभूति
प्रकट करता हूँ।"
लूर्दसामी कार्डिनल डूरयसामी की मृत्यु 2 जून सोमवार को रोम
के जमेली अस्पताल में हो गया। वे 90 साल के थे।
बृहस्पतिवार 5 जून को संत पेत्रुस
महागिरजाघर में दफ़नक्रिया के पूर्व यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित किया जायेगा जिसमें कार्डिनल
अंजेलो सोदानो मुख्य अनुष्ठाता होंगे। संत पापा ने कहा कि वे सर्वशक्तिमान ईश्वर को
कार्डिनल लूर्दसामी की सेवाओं के लिये धन्यवाद देते हैं जिन्होंने भारत में सुसमाचार
प्रचार किया और विभिन्न दायित्वों को संभालते हुए सार्वभौमिक कलीसिया की सेवा की।
संत
पापा ने प्रार्थना की, "ईश्वर उनकी सेवाओं के लिये उन्हें अपने राज्य में ग्रहण करे तथा
अनन्त शांति और आनन्द का पुरस्कार प्रदान करे। उनके अंतिम संस्कार के लिये एकत्रित सब
विश्वासियों को मैं ईश्वर की सांत्वना और प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान करता हूँ।"
कार्डिनल
लूर्दसामी की मृत्यु से कार्डिनलों की संख्या 214 हो गयी है जिनमें 119 को संत पापा के
चुनाव में मतदान का अधिकार होगा और अन्य 95 कार्डिनल वोट नहीं कर पायेंगे।
कार्डिनल
लूर्दसामी का जन्म भारत के पॉन्डिचेरी और कुड्डालोर महाधर्माप्राँत के कल्लेरी में 5
फरवरी 1924 में हुआ था। उनका पुरोहिताभिषेक 21 दिसंबर 1951 ईस्वी में हुआ । चेन्नई के
लोयोला कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने क बाद उनकी पढ़ाई-लिखाई रोम स्थित उर्बानियाना परमधर्मीपीठीय
महाविद्यालय में सन् 1956 में पूरी हुई।
अपने पुरोतिभिषेक के बाद उन्हें कई प्रेरितिक
ज़िम्मेदारियाँ दी गयीं जिनमें पोन्डिचेरी के महाधर्माध्यक्ष के सचिव और धर्मप्राँतीय
चाँसलर, तमिल पाक्षिक 'सवा वियाबी' के सम्पादक और काथलिक डॉक्टर्स गिल्ड के निदेशक आदि
शामिल हैं।
उन्होंने काथलिक मेडिकल स्टुडेंटस गिल्ड, न्युमैन एसोसिएशन और यूनियन
ऑफ़ काथलिक यूनिवर्सिटी स्टुडेन्ट्स के भी वे संचालक रहे।
लूर्दसामी को 2 जूलाई
1962 में बंगलोर का सहायक धर्माध्यक्ष बनाया गया और बाद में 9 नवम्बर 1964 कोजूटर धर्माध्यक्ष
नियुक्त किया गया और 11 जनवरी सन् 1968 ईस्वी में बँगलोर के महाधर्माध्यक्ष का पदभार
ग्रहण किया।
संत पापा जोन पौल द्वितीय ने सन् 1985 ईस्वी में उन्हें कार्डिनल
की ज़िम्मेदारी सौंपी।