2014-05-27 15:43:57

गेथसीमनी बारी में पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों को संत पापा का संदेश


येरूसालेम, मंगलवार 27 मई 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने अपनी प्रेरितिक यात्रा के अंतिम पड़ाव येरूसालेम के गेतसेमनी बारी में, पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं गुरूकुल छात्रों से मुलाकात की।
संत पापा ने उन्हें सम्बोधित करते हुए संत लूकस रचित सुसमाचार पर प्रकाश डाला जहाँ कहा गया है, ″वे बाहर निकलकर ज़ैतून पर्वत की ओर बढ़े और शिष्य उनके साथ हो लिए।″
संत पापा ने कहा, ″वह समय जिसे ईश्वर ने मानव जाति को उनके पापों की दासता से मुक्त करने हेतु निश्चित किया था, येसु ने, जैतून पर्वत के पास इसी गेथसीमनी बारी में प्रवेश किया था। आज हम अपने को इस पवित्र भूमि में पाते हैं जहाँ येसु ने प्रार्थना की थी, मानसिक तनाव में खून के रूप में पसीना बहाया था एवं सबसे बढ़कर पिता की पवित्र इच्छा को ‘हाँ’ कहा था।″

संत पापा ने कहा, ″येसु ने प्रार्थना की आवश्यकता एवं शिष्यों, मित्रों एवं प्रियजनों के साथ की जरूरत महसूस की थी किन्तु परिस्थिति विपरीत हो गयी थी, यह संदेह, भय और चिंता आदि में परिणत हो गयी। येसु के दुःखभोग की घटना जितनी स्पष्ट होती गयी चेले उतने ही अधिक विचलित होते गये। आज इस पावन स्थल पर उपस्थित होकर हमें अपने आप से पूछने की आवश्यकता है कि येसु के दुखभोग के सम्मुख मैं कौन हूँ?″ येसु मुझसे जागने और प्रार्थना करने की माँग कर रहे हैं। मैं इस समय क्या कर रहा हूँ? प्रार्थना करने के बदले क्या मैं सो रहा हूँ, क्या मैं भाग निकलने का रास्ता ढ़ूँढ़ रहा हूँ या वास्तविकता को नकारने का प्रयास कर रहा हूँ?
क्या मैं अपने को उन लोगों के साथ पाता हूँ जो इस जीवन की दुखद परिस्थिति में येसु को छोड़ भाग गये। उन लोगों की तरह जो येसु के मित्र कहलाये किन्तु अंत में उनके साथ विश्वासघात किया।
संत पापा ने कहा कि येसु की मित्रता, विश्वास एवं करुणा हमारे लिए मुफ्त दान है जो हमें अपनी कमजोरियों के बावजूद उनका अनुसरण करने का प्रोत्साहन देता है किन्तु ईश्वर की अच्छाई हमें शैतान के प्रालोभन, पाप, बुराई और धोखे से बचने हेतु जागरूक रहने से छूट नहीं देती है।
हम सभी पाप, बुराई एवं धोखे से घिरे हैं, हम में मानवीय कमजोरियाँ विद्यामान हैं किन्तु ईश्वर की महानता हमें उन से उपर उठाता है। वे हमें कभी नहीं छोड़ते हैं। हम साहस एवं धीरज के साथ अपनी जीवन यात्रा एवं मिशन में आगे बढ़ें।
संत पापा ने कलीसिया में उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उनसे कहा कि कलीसिया में उनकी उपस्थिति अत्यन्त महत्वपूर्ण है। संत पापा ने उन्हें अपनी आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त करते हुए अपनी प्रार्थना का आश्वासन दिया तथा उन्हें माता मरिया का अनुसरण करने की सलाह दी।








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