2014-05-26 13:21:45

यहूदी-ईसाई संबंध ईश्वर की योजना


येरुसालेम, सोमवार 26 मई, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा ने सेफार्दी के मुख्य रब्बी यितझाक योसेफ और अशकेनजी के मुख्य रब्बी डेविड लाउ से मुलाक़ात की और उन्हें अपने संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि जब मैं अर्जेन्टिना के व्यनस आइरस में महाधर्माध्यक्ष था मेरे कई यहूदी मित्र थे। हमने एक-साथ मिलकर कई समारोहों का आयोजन किया, वार्तायें कीं और आध्यात्मिक स्तर पर बातचीत किये। इसी तरह से काथलिक कलीसिया के पूर्वाधिकारियों ने भी यहूदियों से कई वार्तायें कीं, अपने विचारों का आदान-प्रदान किया तथा आपसी मित्रता को सुदृढ़ किया।

मित्रता की जो यात्रा विभिन्न संत पापाओं ने तय की वह द्वितीय वाटिकन महासभा का फल है विशेषकर वाटिकन दस्तावेज़ " नोस्तरा आयेताते " का जो बहुत ही प्रभावकारी सिद्ध हुआ जिसकी घोषणा की पचासवीं वर्षगाँठ अगले वर्ष मनायी जायेगी।

हाल के वर्षों में यहूदियों और ईसाइयों ने आपसी समझदारी के क्षेत्र में जो प्रगति हुई है वह ईश्वरीय वरदान है। इस वरदान के लिये हमें चाहिये कि हम बारंबार ईश्वर को धन्यवाद दें।

इस कार्य में जो प्रगति हुई है उसमें इस्राएल के मुख्य रबी और यहूदियों के साथ धार्मिक संबंध को सुदृढ़ करने के लिये बना वाटिकन परमधर्मपीठीय आयोग की सराहना की जानी चाहिये। यह सन् 2002 में संत जोन पौल द्वितीय की पवित्र भूमि येरूसालेम की यात्रा का फल था। आज इस क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई है और आशा की जाती है कि यह प्रक्रिया जारी रहेगी।

संत पापा ने कहा कि आज इस बात की ज़रूरत है कि हम आपसी सम्मानपूर्ण संबंध बनाये रखें साथ ही ईसाइयों और यहूदियों के बीच के संबंध के आध्यात्मिक महत्व पर चिन्तन करना जारी रखें।

ईसाइयों और यहूदियों के बीच जो संबंध है उसका आरंभ ईश्वर की इच्छा का फल है जो हमारी योजनाओं और कार्यक्रम से परे है और ऐतिहासिक कटु सत्यों के बावजूद बना रहेगा।

हम इस बात से कदापि अलग नहीं हो सकते हैं कि हमारे विश्वास की जड़ यहूदियों से जुड़ा हुआ है।

हमारी आध्यात्मिक धरोहर के प्रति आपसी समझदारी और उन बातों को जो दोनों धर्मों के विश्वास से जुड़े हैं की - सराहना और ऐसी बातें जिन्हें हम स्वीकार नहीं करते- का सम्मान करने से हम एक-दूसरे के करीब बने रहेंगे और एक साथ मिलकर शांति स्थापना के क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दे पायेंगे।

इतना ही नहीं, हम एक साथ मिलकर यहूदी विरोधी विचारों और अन्य सब प्रकार के भेद-भावों का विरोध कर सकते हैं। ईश्वर हमें वह शक्ति करे ताकि हम पूरे विश्वास और साहस के साथ इस दिशा में आगे कदम बढ़ायें।









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