2014-05-25 14:19:34

स्वस्थ परिवार एवं समाज के संकेतक बच्चे


वाटिकन सिटी, रविवार, 25 मई 2014 (वीआर सेदोक)꞉ प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन, रविवार 25 मई को संत पापा फ्राँसिस ने बेतलेहेम के मेंजर (चरनी) प्रांगण में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया।
उन्होंने प्रवचन में सुसमाचार लेखक संत लूकस द्वारा रचित येसु के जन्म की घटना पर चिंतन किया। ″यह आप लोगों के लिए पहचान होगी, आप एक बालक को कपड़ों में लपेटा और चरनी में लिटाया हुआ पायेंगे।''(लूक 2꞉12)
संत पापा ने कहा, ″यह बड़े ही सौभाग्य की बात है कि मैं येसु के जन्म स्थान में पावन ख्रीस्तयाग सम्पन्न कर रहा हूँ।″
बेतलेहेम में जन्में बालक येसु, मुक्ति की अभिलाषा कर रहे लोगों के लिए ईश्वर प्रदत्त एक चिन्ह हैं जो दुनिया में सदा के लिए ईश्वर के स्नेह एवं उनकी उपस्थिति के प्रतीक बन गये हैं।
संत पापा ने कहा, ″आज भी, बच्चे प्रतीक हैं। वे आशा और जीवन के प्रतीक हैं। वे स्वस्थ परिवार, समाज और समस्त विश्व की ओर संकेत करने वाले एक निशान हैं। जहाँ बच्चों को स्वीकारा जाता, उन्हें प्यार, सेवा एवं सुरक्षा प्रदान किया जाता है वह परिवार स्वस्थ है, वह समाज आदर्श एवं वह दुनिया अधिक मानवीय। हम यहाँ संत पापा पौल षष्टम के कार्यों की याद करते हैं जिन्होंने फिलिस्तीन के बच्चों के लिए सुनने एवं बोलने हेतु एक संस्था की स्थापना की थी। यह ईश्वर के भलाई की सच्ची निशानी है।

बेतलेहेम का बालक अन्य नवजात शिशुओं की तरह दुर्बल था। वह बोल नहीं सकता किन्तु शब्द था जिसने शरीर धारण किया। वह लोगों के हृदय एवं जीवन का परिवर्तन करने आया था। वह अन्य बालकों की तरह कमजोर था अतः उसे स्वीकारा एवं सुरक्षा प्रदान किया जाना था।
आज भी, बच्चों को गर्भाधान के समय से ही स्वीकार एवं सुरक्षा प्रदान किये जाने की आवश्यकता है। दुर्भाग्य से, हमारे इस विश्व में अति विकसित प्रौद्योगिकी के बावजूद बच्चों की एक बड़ी संख्या समाज के एक किनारे, शहरों के बाहरी इलाक़ों तथा देहातों में अमानवीय परिस्थितियों में जीवन यापन करती है। बहुत से बच्चे शोसन, अत्याचार, दासता, हिंसा एवं अनैतिक तस्करी के शिकार बनते हैं। बहुत सारे बच्चे परदेश में शरणार्थी के रूप में जीवन यापन करते, कई बार वे समुद्र में ड़ूबकर खो जाते हैं विशेषकर, मेडिटेरेनियन सागर में। आज उन्हें याद करते हुए हम ईश्वर के सम्मुख लज्जा महसूस कर रहे हैं जिन्होंने एक बालक का रूप धारण लिया।
आज हमें अपने आप से पूछने की आवश्यकता है, बालक येसु के सम्मुख खड़े हम कौन हैं तथा आज के बालकों के सामने हम किनके समान हैं? क्या हम माता मरिया एवं योसेफ की तरह हैं जिन्होंने येसु को स्वीकार किया, उनकी सेवा की तथा माता-पिता का प्यार उन्हें दिया। क्या हम राजा हेरोद के समान हैं जिसने उसे समाप्त कर देना चाहा। क्या हम चरवाहों की तरह हैं जिन्होंने दौड़ कर येसु का दण्डवत किया तथा उन्हें अपना विनम्र उपहार भेंट किया। क्या हम उन लोगों की तरह हैं जो सुवचनों का प्रयोग करते किन्तु पैसे के लिए ग़रीब बच्चों का शोषण करते हैं। क्या हम बच्चों के साथ समय व्यतीत करने के लिए तैयार हैं? क्या हम उन्हें सुनने, उनकी सेवा करने, उनके लिए प्रार्थना करने तथा उनका साथ देने के लिए तैयार हैं? या क्या हम अपने कार्यों में व्यस्त रह कर उनकी अवहेलना करते हैं।

संत पापा ने कहा, ″यह आपके लिए एक चिन्ह, तुम एक बालक को पाओगे...शायद वह नन्हा बालक या बलिका रो रही है। वह रो रही है क्योंकि वह भूखी है, ठंढक़ महसूस कर रही है या हमारे गोद में आना चाहती है। आज बच्चे रो रहे हैं, उनका रोना हमें चुनौती दे रहा है ऐसे संसार में जहाँ प्रतिदिन कितने टन भोजन और दवा नष्ट किये जाते हैं। बहुत से बच्चे भूख एवं रोगों से पीड़ित हैं। वे व्यर्थ में रो रहे हैं। जहाँ बच्चों को सुरक्षा प्रदान किये जाने की आवश्यकता है वहीं उनके हाथों में शस्त्र प्रदान किया जा रहा है और उनके द्वारा शस्त्रों के व्यापार का प्रसार किया जा रहा है। बाज़ारों में बच्चों द्वारा हथियारों का निर्माण कराया जा रहा है। उन्हें युद्ध एवं जोखिम भरे काम करने पर मजबूर किया जा रहा है। इतने पर भी वे रो नहीं सकते किन्तु उनकी माताएँ राखेल की तरह रो रही हैं। जिन्हें कोई सांत्वना नहीं दे सकता।
जिस प्रकार बेतलेहेम में जन्मा बालक येसु एक चिन्ह था उसी प्रकार दुनिया के किसी भी हिस्से में पैदा एवं पला-बढ़ा बालक एक निशान है। वह स्वस्थ परिवार, समाज एवं दुनिया का प्रतीक है। यही ईमानदार एवं उदार चिन्ह हमें एक नये जीवन शैली की ओर अग्रसर कर सकता है जहाँ हमारे रिश्तों में संघर्ष, अत्याचार एवं उपभोक्तावाद का कोई नामोनिशान नहीं होगा किन्तु भाईचारा, क्षमा एवं मेल-मिलाप तथा सहानुभूति एवं प्यार होगा।

संत पापा ने अंत में माता मरिया से प्रार्थना की, ″हे माता मरिया येसु की माँ, आपने बालक येसु का स्वागत किया हमें भी उन्हें स्वीकार करना सिखा, आपने उसे दण्डवत किया, हमें भी दण्डवत करना सिखा, आपने उनका अनुसरण किया हमें भी उनका अनुसरण करना सिखा। आमेन।
पावन ख्रीस्तयाग समाप्त करने के पश्चात् संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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