वाटिकन सिटी, शुक्रवार 23 मई, 2014 (सेदोक, वीआर) संत पापा फ्राँसिस की 24 मई शनिवार
से आरंभ होनेवाली तीन द्विसीय येरूसालेम की ऐतिहासिक प्रेरितिक यात्रा के पूर्व वाटिकन
सेक्रटरी ऑफ़ स्टेट कार्डिनल पियेतरो पारोलिन ने कहा है कि संत पापा की मुलाक़ातें ‘साक्ष्य’
बन जायेंगी।
कार्डिनल पारोलिन की आशा है कि अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न ख्रीस्तीय
समुदायों और अन्य समुदायों विशेष कर के यहूदियों और मुसलमानों से संत पापा की मुलाक़ात
से शांति का मार्ग प्रशस्त हो पायेगा।
विदित हो कि संत पापा फ्राँसिस अपने तीन
दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दौरान फिलीस्तीन, जोर्डन और इस्राएल की यात्रा करेंगे।
वाटिकन
सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट ने बताया कि संत पापा अपनी यात्रा के दौरान इस्राएल- फिलीस्तीन वार्ता,
पवित्र नगर येरूसालेम की सार्वभौमिकता और पवित्रता, सांस्कृतिक और इसकी धार्मिक धरोहरता
को उचित सम्मान देने पर बल देंगे।
उन्होंने कहा कि वाटिकन सिटी की इच्छा है कि
संत पापा इस बात पर भी बल दें कि इस्राएल अंतरराष्ट्रीय मान्यताप्राप्त सीमा के भीतर
शांति और सुरक्षा का लाभ उठाये। इसके साथ फिलीस्तीन के लोगों को एक स्वतंत्र एवं सम्प्रभु
राष्ट्र पाप्त करने और मर्यादापूर्ण तथा स्वतंत्र तरीके से जीवन यापन का हक़ प्राप्त
हो।
कार्डिनल ने इस बात की भी जानकारी दी कि संत पापा इस बात पर जोर देंगे कि
द्वितीय वाटिकन महासभा का एक विशेष परिणाम - अन्तरकलीसियाई वार्ता और एकता मजबूत हो।
विदित हो कि संत पापा फ्राँसिस रविवार को ‘होली सेपुल्करे’ के महागिरजागर में कोन्सतनतिनोपल
के प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोमी प्रथम से मुलाक़ात करेंगे। यह मुलाक़ात उस ऐतिहासिक
भेंट का हिस्सा होगा जिसमें संत पापा पौल षष्टम् ने 50 वर्ष पूर्व तत्कालीन प्राधिधर्माध्यक्ष
अथेनागोरास से मुलाक़ात की थी।
हाल में हो रहे ख्रीस्तीय विरोधी आक्रमणों और
धर्मसतावटों के परिपेक्ष में जॉर्डन, फिलीस्तीन और इस्राएल के ईसाइयों के लिये संत पापा
फ्राँसिस की यात्रा सांत्वनादायक होगी।
उन्होंने बताया कि मध्यपूर्वी राष्ट्रों
में ख्रीस्तीय की उपस्थिति के बिना पवित्र नगर येरूसालेम मात्र संग्रहालय बन कर रह जायेगा।
उन्होंने कहा कि मध्य पूर्वी राष्ट्रों में उनका स्थान अहम है क्योंकि वे एक
सक्रिय नागरिक रूप में राष्ट्र की प्रजातांत्रिक संरचना को बनाये रखने में अन्य नागरिकों
के साथ बने हुए हैं।