2014-05-23 19:32:36

दूतावास हमला: 'दो हमलावरों की मौत'


अफ़गनिस्तान, शुक्रवार 23 मई, 2014 (बीबीसी) अफ़ग़ानिस्तान के शहर हेरात में शुक्रवार को कम से कम तीन हथियारबंद हमलावरों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला किया।
पुलिस के मुताबिक़ हमलावरों ने भारतीय दूतावास की इमारत पर मशीनगनों और हथगोलों से हमला बोला।
सुरक्षाबलों के साथ घंटों चली गोलीबारी में दो हमलावर मारे गए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसके सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरुद्दीन ने ट्वीट करके बताया कि मनोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय राजदूत से बात की है और उन्हें हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।
अफ़ग़ानिस्तान में हाल के हफ़्तों में हिंसा में बढ़ोतरी हुई है क्योंकि विदेशी फ़ौजों के देश छोड़ने की शुरुआत हो गई है।
उधर, पेशावर स्थित अफ़ग़ानिस्तान मामलों के जानकार रहीमुल्ला यूसुफ़ज़ई का कहना है कि पिछले दिनों हेरात में तालिबान की गतिविधियां काफ़ी बढ़ गई हैं। शहरों तक उनका असर है। इसीलिए उनके लिए ऐसी कार्रवाई करना आसान हो गया है।
हालांकि अभी यह साफ नहीं कि इस हमले के पीछे किसका हाथ था पर भारतीय ठिकानों पर पहले हुए हमलों के लिए हक्कानी नेटवर्क को ज़िम्मेदार माना गया था.
हक्कानी नेटवर्क का संबंध अल क़ायदा से है और माना जाता है कि इसके पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियों से संबंध हैं।
यह हमला ऐसे समय हुआ है, जब भारत में नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शपथ ग्रहण करने वाले हैं। अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई भी शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने जा रहे हैं।
माना जा रहा है कि हमलावर सुबह क़रीब चार बजे भारतीय वाणिज्य दूतावास के पास एक इमारत में घुसे थे और वहां से गोलीबारी शुरू कर दी।
कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि हमलावरों की संख्या चार थी. हमले की ख़बर पाते ही सुरक्षाबलों ने तुरंत इलाक़े को घेर लिया और दोनों तरफ से घंटों गोलीबारी जारी रही.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरुद्दीन ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा बहादुर भारतीय अर्द्धसैनिक बलों ने इस हमले को में नाकाम कर दिया और अफ़ग़ान सुरक्षाबल भी इस अभियान में शामिल हो गए।
हेरात ईरान सीमा के पास है और देश के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक माना जाता है.
जुलाई 2008 में काबुल में मौजूद भारतीय दूतावास के बाहर बम विस्फोट में कम से कम 41 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग डेढ़ सौ लोग घायल हो गए थे।
उसके बाद सितंबर 2013 में तालिबान ने हेरात में अमरीकी वाणिज्य दूतावास पर ऐसा ही हमला किया था. इस हमले में चार अफ़ग़ानी मारे गए थे पर हमलावर परिसर में घुसने में नाकाम रहे थे।
लाखों अफ़ग़ानों ने तालिबान की धमकी की परवाह किए बिना अप्रैल में राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लिया था।
अफ़ग़ानिस्तान में दूसरे दौर के चुनाव जून मध्य में होने हैं, जिसमें अब्दुल्ला अब्दुल्ला और विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री अशरफ़ ग़नी आमने-सामने होंगे।








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