2014-05-21 13:24:34

बुधवार 14 मई 2014


श्रोताओं के पत्र
पत्र- आदरणीय पिताजी आप सभी को प्रभु येसु के नाम में नमस्कार। आशा है आप सभी सकुशल होंगे प्रभु येसु से आपके सुस्वस्थ्य की कामना हैं|
विद्यानन्द रामदयाल, पियर्स मोरिसस।

पत्र- 'जलस्य जीवनम' अर्थात जल ही जीवन है। जल ही सबका आधार है। जल के बिना जीवों का जीवन संभव नहीं है। जल पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है। यह सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक सभी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। पृथ्वी पर उपलब्ध जल का मात्र 2.7 प्रतिशत ही मीठा जल है और शेष खारा। इसका भी मात्र 22.6 प्रतिशत ही भूमिगत जल के रुप में है। भारत में विश्व के कुल जल का मात्र चार प्रतिशत और आबादी 17 प्रतिशत। यदि अभी से जल का संरक्षण हमने नहीं किया, तो हमारा विकास चक्र तो रुक ही जायेगा और आनेवाली पीढ़ी भी हमें माफ नहीं करेगी। छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन अब समय आ गया है कि इस अमूल्य धरोहर के महत्व को समझते हुए इसको बचाएं। देश की प्रगति केवल औद्योगीकरण और भ्रष्टाचार खत्म करने से नहीं होगी, इसके लिए पर्यावरण संरक्षण भी ज़रूरी है।
डॉ. हेमन्त कुमार, गोराडीह भागलपुर, बिहार।

पत्र- मसीह में अति प्रिय भाई,सादर नमस्ते।
मैं सन् 1999 ई. से वाटिकन रेडियो का नियमित श्रोता हॅूं लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मुझे पत्रों का जवाब प्राप्त नहीं हो रहा है। जबकि मैं नियमित समीक्षात्मक पत्र भेजता हॅूं। अतः निवेदन है कृपया हमें रेडियो पत्रिका नियमित भेजें एवं मेरा पता भविष्य में इस प्रकार रहेगा। कृपया फीड करने की कृपा करें।
निरंजन होरो, आदिवासी स्कूल, बरसुवन, सुन्दरगढ़, ओड़िसा।

पत्र- सेवा में, श्रोताओं के कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले भाई-बहन जी को हमारे सिययोन रेडियो लिस्नर्स क्लब के तरफ से प्यार भरा नमस्कार।
स्वर्ग की सीढ़ीः-
मारना चाहते हो तो बुरी इच्छाओं को मारो
जीतना चाहते हो तो क्रोध् और तृष्णाओं को जीतो
खाना चाहते हो तो गुस्से को खाओ
पीना चाहते हो तो ईश्वर भक्ति का शर्बत पीयो
देना चाहते हो तो नीची निगाह करके दो और भूल जाओ
लेना आहते हो तो माता-पिता और गुरु का आर्शीवाद लो
जाना चाहते हो तो सत्संगो एवं स्वस्थप्रद स्थानो पर जाओ
आना चाहते हो तो दुखियों की सहायता को आओ
छोड़ना चाहते हो तो पाप घमंड और अत्याचार को छोड़ो
बोलना चाहते हो तो सत्य और मीठे वचन बोलो
देखना चाहते हो तो अपनी बुराई को देखो।
रामबिलास प्रसाद, सियोन रेडियो लिस्नर्स क्लब, कृतपुर मठिया, पू. चम्पारण।












All the contents on this site are copyrighted ©.