2014-05-19 11:10:44

संत पापा सेलेस्टीन पंचम


19 मई को कलीसिया, सन्त पापा, सन्त सेलेस्टीन पंचम का स्मृति दिवस मनाती है। सन्त पापा सेलेस्टीन का जन्म, पियेत्रो आन्जेलियेरी नाम से, इटली के सिसली द्वीप में आन्जेलियेरी परिवार में, सन् 1215 ई. में हुआ था। 12 सन्तानों में वे तीसरे थे। पिता आन्जेलो आन्जेलियेरी के निधन के बाद पियेत्रो की माता मरिया आन्जेलियेरी ने ही परिवार का कार्यभार सम्भाला तथा अपने बच्चों का लालन-पालन किया। बाल्यकाल से ही उन्होंने अपनी सन्तानों में आध्यत्म एवं धर्म के प्रति रुचि उत्पन्न कर दी थी। निर्धन होने के बावजूद, ईश्वर में, धर्मी महिला मरिया का विश्वास अटल था जिसके सहारे कठोर परिश्रम करती हुई वे नित्य आगे बढ़ती गई तथा अपने बच्चों को भी ईश्वर के प्रति अभिमुख करती रही।


माँ की आध्यात्मिकता ने पियेत्रो को अत्यधिक प्रभावित किया। 20 वर्ष की उम्र में पियेत्रो ने साधु जीवन अपना लिया था। वे जगह-जगह घूम कर सुसमाचार का प्रचार करने लगे तथा एकान्त जीवन यापन करने लगे। उनका सारा समय प्रार्थना, मनन चिन्तन, बाईबिल पाठ तथा सुसमाचार के प्रचार में बीतने लगा। खाली समय में वे लेखन कार्य करने लगे ताकि शैतान को प्रलोभन का मौका न दें। इस बीच, कई एकान्तवासी उनके पास आया करते थे। उनकी संख्या दिनों-दिन बढ़ती गई तथा वे पियेत्रो से एक नये धर्मसमाज की स्थापना का आग्रह करने लगे। इसी के बाद पियेत्रो आन्जेलियेरी अथवा मोरोन के पियेत्रो ने सेलेस्टीन धर्मसमाज की स्थापना की जिसे कई अवरोधों के बाद सन्त पापा ग्रेगोरी दसवें का अनुमोदन मिला।


पियेत्रो आन्जेलियेरी पाँच माहों तक सन्त पापा सेलेस्टीन नाम से काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष थे। जब दो वर्षों तक इटली के पेरूजिया शहर में चली कार्डिनलों की सभा में नये सन्त पापा का चुनाव नहीं हो पाया तब एकान्तवासी पियेत्रो आन्जेलियेरी ने उन्हें फटकारा तथा शीघ्रातिशीघ्र नये सन्त पापा के नाम की घोषणा करने की मांग की। परिणाम यह हुआ कि कार्डिनलों ने मिलकर विख्यात एकान्तवासी पियेत्रो आन्जेलियेरी को ही कलीसिया के नेतृत्व के लिये आमंत्रण दे दिया। पहले-पहल पियेत्रो ने इससे इनकार कर दिया किन्तु बाद में कार्डिनलों के आग्रह के आगे उन्हें झुकना ही पड़ा। इस प्रकार, 05 जुलाई सन् 1294 ई. को एकान्तवासी पियेत्रो आन्जेलियेरी, सन्त पापा सेलेस्टीन के नाम से, काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष नियुक्त कर दिये गये।


अपने पाँच मासिक कार्यकाल के दौरान सन्त पापा सेलेस्टीन ने एक आदेशाज्ञप्ति जारी कर सेवानिवृत्ति हेतु कलीसिया के परमाध्यक्ष के अधिकार को प्रतिष्ठापित किया। 13 दिसम्बर, सन् 1294 ई. को सन्त पापा सेलेस्टीन ने पदत्याग दिया तथा पहले की तरह एकान्त जीवन यापन करने लगे। उनके उत्तराधिकारी सन्त पापा बोनीफास को सन्त पापा सेलेस्टीन के समर्थकों का भय था कि कहीं वे सन्त पापा विरोधी दल का गठन न कर ले इसलिये उन्होंने सेवानिवृत्त सन्त पापा सेलेस्टीन को क़ैद में कर लिया।


इटली के कमपान्या प्रान्त स्थित फूमोने दुर्ग में क़ैद सन्त पापा सेल्स्टीन कष्टकर जीवन यापन करने लगे थे। इसी दुर्ग में, 19 मई, सन् 1296 ई. को सन्त पापा सेलेस्टीन पंचम का निधन हो गया। सन् 1313 ई. में सन्त पापा सेलेस्टीन को सन्त घोषित कर दिये गये थे। उनके बाद से कलीसिया के किसी भी परमाध्यक्ष ने सेलेस्टीन नाम धारण नहीं किया है। सन्त पापा, सन्त सेलेस्टीन का पर्व 19 मई को मनाया जाता है।



चिन्तनः "पुत्र! यदि तुम मेरे शब्दों पर ध्यान दोगे, मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे, प्रज्ञा की बातें कान लगा कर सुनोगे और सत्य में मन लगाओगे; यदि तुम विवेक की शरण लोगे और सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करोगे; यदि तुम उसे चाँदी की तरह ढूँढ़ते रहोगे और खजाना खोजने वाले की तरह उसके लिए खुदाई करोगे, तो तुम प्रभु-भक्ति का मर्म समझोगे और तुम्हें ईश्वर का ज्ञान प्राप्त होगा; क्योंकि प्रभु ही प्रज्ञा प्रदान करता और ज्ञान तथा विवेक की शिक्षा देता है। वह धर्मियों को सफलता दिलाता और ढाल की तरह सदाचारियों की रक्षा करता है। वह धर्ममार्ग पर पहरा देता और अपने भक्तों का पथ सुरक्षित रखता है" (प्रज्ञा ग्रन्थ 2: 1-8)।










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