न्यूयॉर्क, सोमवार 19 मई, 2014 (सीएनए) परिवार के लिये बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष
विन्चेन्सो पालिया ने संयुक्त राष्ट्र संघ को संबोधित करते हुए कहा कि परिवार का एक ‘विशेष
स्वभाव’ है जो पूरी मानवता के लिये विरासत है।
महाधर्माध्यक्ष पालिया ने उक्त
बातें उस समय कहीं जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय परिवार
दिवस की 20वीं वर्षगाँठ पर 15 मई को संयुक्त राष्ट्रसंघ को संबोधित किया।
उन्होंने
कहा, "परिवारों के प्रति विरोधी संस्कृति के बावजूद अधिकांश लोग चाहते हैं कि परिवार
उनके जीवन के केन्द्र बना रहे इसलिये यह सोचना विनाशकारी होगा कि परिवार को समाप्त किया
जा सकता है।"
महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "हमें इस बात को पहले से ज़्यादा ध्यान
देने की ज़रूरत है कि परिवार न केवल सामाजिक जीवन की मूलभूत एकता को बरकरार के लिये ज़रूरी
है पर इसकी रक्षा करके ‘व्यक्तिवादी’ और ‘तकनीकिवादी’ के परिणामस्वरूप होने वाले कई अमानुषिक
प्रभावों से भी बचा सकता है।"
उन्होंने कहा कि आज ज़रूरत है परिवारों के नवीनीकरण
की, ताकि पारिवारिक मूल्यों और इसके अंदरुनी संबंधों को समझा सके और दूसरे परिवारों के
साथ उचित तालमेल के साथ रहा जा सके।
महाधर्माध्यक्ष पालिया संयुक्त राष्ट्र संघ
के जेनेरल असेम्बली को संबोधित कर रहे थे ताकि परिवार के महत्व पर जागरूरता बढ़े और इसकी
चुनौतियों पर विचार किया जा सके।
महाधर्माध्यक्ष ने बताया कि परिवार दो तरह के
संबंधों को जोड़ती है जिसमें दो मौलिक भिन्नतायें हैं, नर और नारा का संबंध और अभिभावकों
और संतान का संबंध। परिवार ऐसा स्थल नहीं है जो व्यक्तिवाद को आदर्श मानता जिसमें व्यक्ति
स्वतंत्रता और स्वायत्तता चाहता पर यह एक ऐसा स्थान है जहाँ पारस्परिक निर्भरता और आदान-प्रदान
की प्रमुखता है। उन्होंने कहा कि परिवार एक ऐसा स्थान है जहाँ रिश्ते मजबूत होते
जो इसके सदस्यों को गहराई से सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। उन्होंने
कहा कि परिवार मानव विकास का केन्द्र है जो अपरिहार्य और स्थिर होने के साथ सुन्दर और
स्वागतयोग्य है। उन्होंने बतलाया कि समाज में परिवार संबंधी दो प्रमुख खतरे हैं पहला
है परिवारवाद जिसमें समाज के लिये हित के लिये व्यक्ति का बलिदान किया जाता है और मूल
व्यक्तिवाद जो परिवार को नष्ट कर देता है। विदित हो कि संत पापा फ्राँसिस एक विशेष
सिनॉद का आयोजन किया है जिसकी विषय वस्तु है परिवार मानव और कलीसिया का केन्द्र।