क्षमताओं के प्रति सम्मान उत्पन्न करता है पवित्र आत्मा
वाटिकन सिटी, सोमवार, 19 मई 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर
के प्राँगण में रविवार 19 मई को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ ‘स्वर्ग की
रानी’ प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों
को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, प्रेरित चरित से
लिया गया आज का पाठ हमें दिखलाता है कि आरम्भिक कलीसिया में ही तनाव एवं असंतोष उत्पन्न
हुआ था। जीवन में समस्याएँ होती हैं किन्तु उसका समाधान किस प्रकार किया जाए, यह आसान
नहीं है। उस समय तक ख्रीस्तीय समुदाय एक धर्म, एक संस्कृति और यहूदियों का दल रूप में
विकसित हो रहा था किन्तु जब येसु की इच्छा पर उसे सभी राष्ट्रों के लिए तथा उसमें गैर-यहूदियों
की संस्कृति को स्वीकार करने की बात जाहिर हुई, तो विश्वासियों के बीच एकरूपता खत्म हो
गयी और वहीं पर समस्या खड़ी हो गयी। इस प्रकार, परिस्थिति बदल गयी, हवा उलटी दिशा में
बहने लगी, शिकायतें होने लगीं पक्षपात की अफवाहें तथा असमानता का व्यवहार बढ़ने लगा।
संत पापा ने कहा कि हमारे पल्लियों में भी यही होता है। जरूरतमंद, विधवाओं, अनाथ और गरीब
लोगों की मदद की जाती है किन्तु कई बार ख्रीस्तीयों को ही विशेष ध्यान दिया जाता है।″
संत पापा ने कहा कि अतः समस्या के बढ़ने के पहले ही प्रेरितों ने उसे अपने हाथों
में ले लिया। उन्होंने शिष्यों की एक सभा का आयोजन किया, जिसमें सभी ने मिलकर समस्या
पर विचार-विमर्श किया गया। संत पापा ने कहा, ″समस्या को अनदेखा करने से उसका हल नहीं
हो जाता। विश्वासियों एवं धर्मगुरूओं के बीच यह एक उदाहरण सटीक है, समस्या होने पर हम
काम छोड़ देने के कगार पर पहुँच जाते हैं। सभा में प्रेरितों द्वारा रखे गये प्रस्ताव
को सभी स्वीकार कर लिया कि गरीबों के बीच भोजन प्रबंध के भार को संभालने के लिए 7 उपयाजकों
का चयन किया जाए, जिससे प्रार्थना एवं वचन की प्रेरिताई में वे समर्पित हो सकें। संत
पापा ने कहा कि ये सात उपयाजक इसलिए नहीं चुने गये क्योंकि वे व्यापार के काम में दक्ष
थे किन्तु वे ईमानदार एवं सम्मानित, पवित्र आत्मा तथा प्रज्ञा से पूर्ण व्यक्ति थे जिनपर
हाथ रखकर प्रेरितों ने उन्हें सेवा के योग्य बनाया था। इस प्रकार असंतुष्टि, शिकायतें,
पक्षपात की अफवाहें तथा भेदभाव जैसी उनकी समस्याओं का समाधान हो गया। समस्याओं का सामना
करने, उस पर विचार करने एवं उसके लिए प्रार्थना करने से हम कलीसिया की समस्याओं का समाधान
निकाल सकते हैं। निश्चय ही, बकवाद, ईष्या और द्वेष हमें मेल-प्रेम एवं शांति प्रदान नहीं
कर सकते। प्रेरितों के बीच पवित्र आत्मा उपस्थित था जिसने उनकी सहमति को सम्मान प्रदान
किया। जब हम पवित्र आत्मा को अनुमति देते हैं तो वह हमारा मार्गदर्शन करता एवं सामंजस्य,
एकता तथा विभिन्न वरदानों एवं क्षमताओं के लिए सम्मान उत्पन्न करता है। संत पापा ने
उपस्थित समुदाय से प्रश्न किया, ″क्या आपने इसे समझ लिया है? बकवादी न बनें, ईष्या एवं
द्वेष न करें।″ इसमें आश्चर्य करने की कोई बात नहीं है कि जो व्यक्ति भौतिक वस्तुओं का
कारोबार करते हैं उन्हें पवित्र आत्मा की कृपा की आवश्यकता है। पवित्र आत्मा की अनुपस्थिति
के कारण ग़रीबों की सेवा में भेदभाव की भावना एवं भौतिक चीजों के प्रति व्यक्तिगत स्वार्थ
की भावना अहम हो सकती है। विश्वस्त उप-याजक होने के लिए व्यक्ति में विश्वास एवं प्रार्थना
की आवश्यकता है। ग़रीबों के प्रति सहानुभूति के लिए विश्वास, प्रार्थना एवं निरंतर समर्पण
की आवश्यकता है। संत पापा ने प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा के प्रति उदार होने के
लिए धन्य कुँवारी मरियम हमारी सहायता करे। हम जितना अधिक एक-दूसरे का सम्मान करते हैं
विश्वास एवं ख्रीस्तीय उदारता के सदगुण में बढ़ते जाते हैं तथा अन्यों की आवश्यकता में
मदद के लिए सदा तत्पर बनते हैं। इतना कहने के पश्चात् संत पापा ने भक्त समुदाय के
साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
स्वर्ग की रानी प्रार्थना के बाद उन्होंने कहा, ″बलकान के एक बहुत बड़े भूभाग
विशेषकर, सेर्विया और बोर्स्निया में भयंकर बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। बाढ़ पीड़ित सभी
लोगों को मैं प्रभु के चरणों सिपुर्द करता हूँ। घंटों की वेदना और क्लेश का सामना करने
वाले सभी लोगों को मैं अपनी आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान करता हूँ।″ तत्पश्चात् संत पापा
ने सभी पीड़ितों के लिए प्रार्थना अर्पित की। संत पापा ने जानकारी देते हुए कहा कि
कल रोमानिया में विश्वास के कारण शहीद धर्माध्यक्ष अंतोन दुर्कोविचि की धन्य घोषणा की
गयी। वे एक उत्साही एवं साहसी चरवाहे थे। रोमानिया में कम्युनिस्ट शासन द्वारा प्रताड़ित
किये जाकर सन् 1951 ई. में उनकी मृत्यु बंदीगृह में हुई। हम सभी विश्वासियों के साथ मिलकर
उनके लिए ईश्वर को धन्यवाद दें। संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों
एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने कैंसर पीड़ितों की मदद हेतु गठित स्वयंसेवक संस्थाओं
को प्रोत्साहन दिया तथा उन सभी के लिए प्रार्थना की एवं उनसे प्रार्थना की मांग की। अंत
में, उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।