वाटिकन सिटी, शनिवार, 17 मई 2014 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत
पापा पौल षष्ठम सभागार में ″पवित्र क्रूस के मौन कार्यकर्ताओं″ नामक संगठन के सदस्यों
से मुलाकात की। संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, ″मैं आपको पर्वत प्रवचन के उस
बात की याद दिलाना चाहता हूँ जहाँ येसु कहते हैं, ″धन्य हैं वे जो शोक करते हैं! उन्हें
सान्त्वना मिलेगी।″ (मती.5꞉5) येसु का यह कथन पृथ्वी पर जीवन की ऐसी स्थिति को प्रस्तुत
करता है जिससे कोई अछूता नहीं है। कोई दुःखी है अस्वस्थ रहने के कारण, कोई रोता है क्योंकि
उसे कोई नहीं समझता, इस प्रकार दुःख के अनेक कारण हैं। येसु ने इस संसार में संकट और
अपमान का अनुभव किया। उन्होंने मानवीय दुखों को अपने उपर ले लिया। उसे अपने शरीर में
सहा, हर प्रकार के दुःखों का अनुभव उन्होंने किया। नैतिक एवं शारीरिक सभी प्रकार की व्यथा
से वे अवगत हुए उन्होंने भूख और थकान सही, असमझदारी के कड़ुवेपन का अनुभव किया। उन्हें
धोखा, अकेलापन, कोड़े की मार तथा क्रूस का कष्ट भोगना पड़ा। संत पापा ने कहा तथापि
‘धन्य हैं वे जो शोक करते हैं’ इस कथन द्वारा येसु यह कतई नहीं कहना चाहते थे कि जीवन
की कठिनाईयाँ एवं दुःख आनन्द मय जीवन है। दुःख का अपने आप में कोई महत्व नहीं है किन्तु
येसु हमें दुःखों के साथ भी उत्तम मानसिकता के साथ जीने का मर्म समझाते हैं। उन्होंने
कहा कि जीवन के दुःख-दर्दों को स्वीकार करने के दो रास्ते हैं सही एवं गलत रास्ता। दुखों
को गलत मानसिकता के साथ जीने का अर्थ है उसे निष्क्रिय रूप से स्वीकार करना। विरोधपूर्ण
प्रतिक्रिया एवं अस्वीकृति सही मनोभाव नहीं है। येसु हमें जीवन की वास्तविकता को स्वीकार
करते हुए दुखों को आशा एवं दृढ़ता के साथ जीना सिखाते हैं। दुःख की स्थित में भी ईश्वर
के प्रति प्यार एवं पड़ोसी के प्रति प्यार सब कुछ बदल देता है। संत पापा ने कहा कि
धन्य लुइजी नोवारेसे ने यही शिक्षा दी है उन्होंने अपंगों द्वारा धीरज पूर्वक अपने दुखों
को विश्वास एवं प्यार से अन्यों के लिए जीना ही, सुसमाचार की शिक्षा कहा है। संत पापा
ने सभी सदस्यों से कहा कि उनकी ओर से कलीसिया के लिए यही विशिष्ट वरदान है जिस प्रकार
येसु का घाव एक ओर तो विश्वास के लिए बाधा प्रतीत होता है वहीं दूसरी ओर वह ईश्वर के
प्रेम, विश्वास, करूणा एवं सहानुभूति का चिन्ह बन गया है। संत पापा ने संगठन की प्रेरिताई
को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि वे दुःखी लोगों के करीब रहें तथा येसु के पुनरूत्थान के
साक्षी बनें। मालूम हो कि कलीसिया के उत्साही पुरोहित धन्य लुइजी नोवारेसे द्वारा
स्थापित ‘क्रूस के लिए मौन कार्यकर्ताओं’ नामक संगठन इस वर्ष अपनी स्थापना का शताब्दी
समारोह मना रहा है।