यूखरिस्त बलिदान द्वारा ख्रीस्त हमें प्यार करते हैं
वाटिकन सिटी, शनिवार 10 मई 2104 (सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के
प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 9 मई को, पावन ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन
में संतों के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ″संतगण नायक नहीं पापी हैं जो येसु
का अनुसरण दीनतापूर्वक क्रूस के रास्ते पर करते हैं। वे अपने को ईश्वर द्वारा पवित्र
किये जाने के लिए अर्पित करते हैं क्योंकि कोई भी व्यक्ति खुद ही शुद्ध नहीं हो सकता।″
संत पापा ने संत पौलुस के मन-परिवर्तन की कहानी पर चिंतन करते हुए ‘कलीसिया पवित्र
है’ का अर्थ समझाया। उन्होंने कहा, ″कलीसिया किस प्रकार पवित्र हो सकती है यदि इसके
अंदर हम सभी पापी हैं? संत पापा ने कहा इसके बावजूद कलीसिया पवित्र है। हम पापी हैं,
किन्तु कलीसिया पवित्र है क्योंकि वह ख्रीस्त की दुल्हन है और ख्रीस्त उसे प्यार करते
हैं। यूखरिस्त बलिदान द्वारा ख्रीस्त हमें प्रतिदिन प्यार करते हैं। वे हमें प्यार करते
हैं क्योंकि हम माता कलीसिया की संतान हैं। संत पौलुस अपने पत्र में ख्रीस्तीयों को
‘संत’ कहकर सम्बोधित करते हैं क्योंकि येसु के शरीर एवं रक्त द्वारा हम पवित्र किये गये
हैं। संत पापा ने कहा कि पवित्र कलीसिया में ख्रीस्त लोगों को चुनते हैं जिनके द्वारा
कलीसिया पवित्र की जाए अतः पवित्रता कलीसिया के लिए ख्रीस्त की ओर से दी गयी कृपा है।
संत पापा ने सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए कहा कि इसमें कई संतों के उदाहरण हैं
जैसे, मरिया मगदलेना, मत्ती, जकेयुस आदि। यह आवश्यक है कि हम घटें और ख्रीस्त हममें बढ़ें।
यही पवित्रता का नियम है कि हम अधिक विनम्रता के सदगुण में बढ़े। ख्रीस्त ने सौल को चुना
जो कलीसिया का विरोधी था। उसका मन-परिवर्तन हुआ एवं वह एक बालक की तरह विनम्र हो गया।
संत पापा ने अंत में कहा कि जब तक हम अपना मन-परिवर्तन कर येसु के रास्ते पर चलने
के लिए तैयार नहीं हो जाते, प्रतिदिन अपना क्रूस नहीं ढोते एवं येसु को खुद में बढ़ने
नहीं देते तब तक हम संत नहीं बन सकते हैं। हम सभी इस राह पर चलने का प्रयास कर रहे हैं
अतः यद्यपि हम पापी हैं कलीसिया पवित्र है और हम उसकी संतान हैं।