वाटिकन सिटी 10 मई सन् 2014 सन्त सोलान्ज का जन्म फ्राँस में बोर्जेस नगर के एक निकटवर्ती
गाँव में हुआ था। उनके माता पिता कृषि करते थे तथा वे अपने घर की भेड़ों को चराने ले
जाया करती थीं। पोईटियर्स के एक राजसी पुरुष की दृष्टि सोलान्ज पर पड़ी जिसके सौन्दर्य
के प्रति वह आकर्षित हुआ। सोलान्ज को अपने साथ रखने के लिये उसने उसका अपहरण कर लिया
किन्तु जब सोलान्ज उसके घोड़े से कूद पड़ी तथा भाग निकलने की चेष्टा करने लगी तब उस आततायी
ने उसपर तलवार से वार किया तथा उसका तब तक पीछा किया जब तक वह मर न गई।
सोलान्ज
की हत्या के बाद उनकी मध्यस्थता से कई चमत्कार हुए और फ्राँस के कई प्रान्तों में उनकी
भक्ति शुरु हो गई, विशेष रूप से, बेर्री प्रान्त में। सोलान्ज को बेर्री प्रान्त की संरक्षिका
भी घोषित किया गया है। वे चरवाहों एवं बलात्कार की शिकार महिलाओं की संरक्षिका हैं। फ्राँस
की सन्त सोलान्ज का पर्व 10 मई को मनाया जाता है।
चिन्तनः अपने हृदय
को शुद्ध रखने के लिये हम सन्त सोलान्ज से मध्यस्थता की याचना करें ताकि पाप के प्रलोभन
में न पड़ें। असीसी के सन्त फ्राँसिस की विनती हमारी मदद कर सकती हैः
"हे प्रभु
मुझको अपनी शान्ति का साधन बना ले। जहाँ घृणा हो, वहाँ मैं प्रीति भर दूँ, जहाँ आघात
हो, वहाँ क्षमा भर दूँ और जहाँ शंका हो, वहाँ विश्वास भर दूँ। मुझे ऐसा वर दे कि जहाँ
निराशा हो, मैं आशा जगा दूँ, जहाँ अंधकार हो, ज्योति जगा दूँ, और जहाँ खिन्नता हो, हर्ष
भर दूँ। ओ स्वामी, मुझको ये वर दे कि, मैं सांत्वना पाने की आशा न करुँ, सांत्वना देता
रहूँ। समझा जाने की आशा न करुँ, समझता ही रहूँ। प्यार पाने की आशा न रखूँ प्यार देता
ही रहूँ। त्याग के द्वारा ही प्राप्ति होती है। क्षमा के द्वारा ही क्षमा मिलती है। मृत्यु
के द्वारा ही अनन्त जीवन मिलता है। आमेन।"