2014-05-10 16:11:20

कलीसिया में ख्रीस्त के प्रेम से सराबोर लोगों की आवश्यकता


वाटिकन सिटी, शनिवार, 10 मई 2014 (एशिया न्यूज़)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 9 मई को, परमधर्मपीठीय मिशनरी धर्मसमाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
उन्होंने कहा, ″कलीसिया स्वभाव से ही मिशनरी है, सभी लोगों के प्रति उदार सेवा ही इसका मौलिक कर्तव्य है। आप कार्य करने के लिए बुलाये गये हैं ताकि आपके द्वारा कलीसिया ग़रीबों का स्वागत प्रेम, धैर्य एवं दृढ़ता से कर सके।″
उन्होंने कहा कि प्रेरितिक कार्य कलीसिया की छवि है इसलिए परिवर्तन के इस दौर में कलीसिया को बाहर भी नज़र रखना है। उसे उदारता पूर्वक सभी की सेवा करना है। उसे अपने द्वार को सभी के लिए खुला रखना है। अतः ग़रीबों का स्वागत प्यार से करना सीखें तथा कलीसियाई मिशन की सेवा में सुसमाचार को पृथ्वी के सभी हिस्सों में लेकर जाएँ।
संत पापा ने कहा, ″इस समय, जब समाज में उथल-पुथल मची है पूरी कलीसिया को सुसमाचार प्रचार हेतु खुद से बाहर आने की आवश्यकता है उसे विभिन्न संस्कृतियों के बीच आना है। उसे नवीनीकरण एवं परिवर्तन के रास्ते को अपनाने तथा पवित्र आत्मा द्वारा ख्रीस्त से मुलाकात करना है। ख्रीस्त की आत्मा नवीनीकरण का स्रोत है जो हमें नया मार्ग, नयी प्रणाली तथा सुसमाचार प्रचार के नये तरीकों को ढ़ूँढ़ने में मदद करता है। वही हमें मिशन यात्रा का आनन्द प्रदान करता है जिससे ख्रीस्त का प्रकाश सभी तक पहुँच सकें जो उन्हें अब तक नहीं जानते या स्वीकार नहीं करते। सुसमाचार के आनन्द को लेकर सभी उपनगरों में जाने के लिए हमें साहस की आवश्यकता है।″(इवनजेली गौदियुम 21)
संत पापा ने कहा कि हम अपनी कमजोरियों एवं पापों के कारण सुसमाचार के प्रचार को नकार नहीं सकते। यह येसु ख्रीस्त के साथ मुलाकात के आनन्द का साक्ष्य है।
संत पापा ने कहा कि कलीसिया में उन पुरोहितों, धर्म-समाजियों एवं लोक-धर्मियो की अति आवश्यकता है जो ख्रीस्त के प्रेम से सराबोर हैं तथा ईश्वर के राज्य के विस्तार हेतु अत्यन्त उत्साहित, जो अपने को सुसमाचार प्रचार के रास्ते पर समर्पित करने की सद्इच्छा रखते हैं।








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