2014-05-09 12:28:03

कलीसियाई नियम ईश्वरीय कृपा का बाधक न बने


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 9 मई, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने 8 मई बृहस्पतिवार को वाटिकन स्थित संत मार्था अतिथि निवास के प्रार्थनालय में यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि कलीसिया ईश्वर की कृपा को रोकने का प्रयास न करे।

उन्होंने कहा कि ईश्वर सुसमाचार का प्रचार करते और कृपायें देते हैं। कई बार अत्यधिक नौकरशाही या अधिकारों का उपयोग, ईश्वर तक पहुँचने के मार्ग का रोड़ा बन सकता है।

संत पापा ने बृहस्पतिवार को प्रेरितों के क्रियाकलाप से उद्धृत अंश पर चिन्तन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा फिलिप को ईश्वरीय दूत से इथियोपिया के नपुँसक को सुसमाचार सुनाने को कहा था।

संत पापा ने कहा कि एक ख्रीस्तीय के तीन विशिष्ट गुण होने चाहिये - पवित्र आत्मा की आवाज़ सुनना, वार्ता और ईश्वरीय कृपा पर आस्था। पवित्र आत्मा की आवाज़ सुनते ही फिलिप ने सबकुछ छोड दिया और उस नपुंसक के पीछे चला।

जब वह इथोयोपिया की रानी के मंत्री के पास पहुँचा तब दोनों के बीच वार्ता हुई जहाँ फिलिप ने उस व्यक्ति की आध्यात्मिक भावनाओं का आदर किया। और इसी सौहार्दपूर्ण सम्मान के कारण उस नपुँसक ने बपतिस्मा संस्कार ग्रहण करने की इच्छा व्यक्त की।

संत पापा ने बल देकर कहा कि ईश्वर ही सुसमाचार का प्रचार करते हैं। संत पापा ने कहा कि कई बार नियमों का पालन कराते हुए हम ‘रोकटोक की फैक्टरी’ बन जाते हैं और इस तरह से विश्वासियों को ईश्वरीय कृपा पाने से वंचित कर देते हैं।

संत पापा ने प्रार्थना की कलीसिया ईश्वरीय कृपा और विश्वासियों के मार्ग में बाधा न बने।








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