वाटिकन सिटी, 06 मई सन् 2014 (सेदोक): वाटिकन के केलेम्नतीन सभागार में सोमवार 05 मई
को सन्त पापा फ्राँसिस ने वाटिकन की रक्षा हेतु तैनात स्विज़ सेना में इस वर्ष भर्ती
नये स्विज़ रक्षकों एवं उनके परिवारों से मुलाकात कर उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
06 मई को स्विज़ रक्षकों के शपथ ग्रहण समारोह की पूर्व सन्ध्या सन्त पापा ने
उन्हें अपना सन्देश दिया।
सन् 1527 ई. में 06 मई के दिन ही, रोम पर आक्रमण के
समय, वाटिकन तथा कलीसिया के परमाध्यक्ष की रक्षा हेतु तैनात स्विज़ सेना के रक्षकों ने
अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। इसी के स्मरणार्थ प्रतिवर्ष 06 मई को वाटिकन में तैनात
स्विज़ सेना का दिवस मनाया जाता है तथा नये स्विज़ सैनिकों को शपथ दिलवाई जाती है।
सोमवार
को अपने सन्देश में सन्त पापा ने कहा कि स्विज़ सैनिकों का मिशन एक खास मिशन है जिसमें
वे ख्रीस्तीय जीवन का हर्षपूर्ण साक्ष्य देने के लिये बुलाये गये हैं।
उन्होंने
इस बात पर बल दिया कि हालांकि रोम शहर अनगिनत ऐतिहासिक स्मारकों एवं कलात्मक कृतियों
से परिपूर्ण है जो उसकी समृद्ध संस्कृति एवं इतिहास का परिचय देते हैं तथापि यह शहर केवल
एक संग्रहालय नहीं है बल्कि यह सम्पूर्ण विश्व के पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों का मिलनस्थल
है, विभिन्न भाषाओं, परम्पराओं, धर्मों एवं संस्कृतियों के लोगों का संगम स्थल है।
उन्होंने कहा, "वाटिकन, सेन्ट पीटर्स बसीलिका तथा सन्त पापा की भेंट हेतु रोम
आनेवाले तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों के समक्ष शांतिपूर्ण एवं आनन्दमय साक्ष्य देना स्विज़
सैनिकों का दायित्व है।
सन्त पापा ने कहा कि स्विज़ गार्ड्स अथवा रक्षक अपने
रंग बिरंगे पहनावे, निष्ठा एवं समर्पण के लिये सम्पूर्ण विश्व में विख्यात हैं किन्तु
इस बाहरी पहनावे के भीतर वे व्यक्ति हैं जिन्हें आतिथेय, उदारता तथा सबके प्रति एकात्मता
के लिये पहचाना जाना चाहिये।
वाटिकन तथा कलीसिया के परमाध्यक्ष के प्रति स्विज़
सैनिकों की समर्पित सेवा के लिये सन्त पापा फ्राँसिस ने हार्दिक आभार व्यक्त किया तथा
मंगलकामना व्यक्त की कि स्विज़ सेना के सदस्यों के बीच आपसी सदभाव एवं मैत्री कायम रहे
ताकि कठिनाइयों में वे एक दूसरे की मदद को सदैव तत्पर रह सकें।