वाटिकन सिटी, सोमवार, 5 मई 2014 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के
प्राँगण में रविवार 4 मई को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी
प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित
कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात, पास्का के तीसरे रविवार का सुसमाचार
पाठ एम्माउस के रास्ते पर चेलों को दर्शाता है।(लूक.24꞉ 13-35). वे दोनों येसु के शिष्य
थे जो उनकी मृत्यु के बाद एवं विश्राम दिवस पार होने पर, दुःखी एवं परित्यक्त अवस्था
में येरूसालेम छोड़ अपने गाँव एम्माउस लौट रहे थे। राह चलते पुनजीर्वित ख्रीस्त उनके
पास आये एवं उनके साथ चलने लगे किन्तु वे उन्हें पहचान नहीं पाये। येसु ने उनके साथ चलते
हुए सर्वप्रथम उन्हें यह समझने में मदद दी कि मसीह का दुःख भोगना एवं मृत्यु ईश्वर की
योजना के अनुसार था जो धर्मग्रंथ द्वारा घोषित किया जा चुका था, इस प्रकार येसु ने उनके
हृदय में पुनः आशा की एक ज्योति जलायी।
तब शिष्यों को आभास हुआ कि वह एक रहस्यमय
व्यक्ति है तथा उन्होंने येसु को रात में अपने साथ रहने का निमंत्रण दिया। येसु ने उनके
निमंत्रण को स्वीकार करते हुए घर में प्रवेश किया। भोजन आरम्भ करने से पूर्व रोटी ले
कर धन्यवाद की प्रार्थना की तथा रोटी तोड़ी, जिसे देखकर शिष्यों ने उन्हें पहचान लिया
किन्तु येसु उन्हें घबराहट में छोड़ उनकी दृष्टि से ओझल हो गये। संत पापा ने कहा
कि वचन से आलोकित होकर उन्होंने रोटी तोड़ते हुए येसु को उनके नये रूप में पहचान लिया।
उन्होंने तत्काल यह महसूस किया कि उन्हें पुनः येरूसालेम लौटना चाहिए तथा अन्य शिष्यों
को अपना अनुभव बतलाना चाहिए कि उन्होंने पुनर्जीवित येसु से मुलाकात थी तथा उन्हें रोटी
तोड़ते समय पहचान लिया था।
संत पापा ने कहा, ″एम्माउस का रास्ता हमारी विश्वास
यात्रा का प्रतीक है। पवित्र धर्मग्रंथ एवं युखरिस्त ईश्वर से मुलाकात करने का प्रमुख
माध्यम है। हम भी, बहुधा अपनी चिंताओं, कठिनाईयों एवं निराशा की हालत में रविवारीय ख्रीस्तयाग
में भाग लेते हैं। कई बार जीवन में चोट खाने के कारण हम उदास हो जाते हैं, ईश्वर की योजना
से मुड़कर अपने एम्माउस की ओर बढ़ने लगते हैं किन्तु जब हम वचन की धर्मविधि को स्वीकार
करते है तब येसु हमें धर्मग्रंथ का मर्म समझाते हैं तथा हमारे हृदय में पुनः आशा एवं
विश्वास की लौ प्रज्वलित करते हैं। यूख़रिस्त की धर्मविधि में येसु हमारे अनन्त जीवन
के लिए रोटी के रूप में हमें अपने आपको प्रदान करते हैं। पावन ख्रीस्तयाग, पुनर्जीवित
ख्रीस्त की जीवित उपस्थिति है, जो पवित्र वचन एवं यूखरिस्त की धर्मविधि द्वारा प्रकट
होती है। यह हमें आलोकित करता तथा येरूसालेम जो भाई-बहनों एवं मानव समुदाय का प्रतीक
है वहाँ ले चलता है जिससे कि हम अपने अनुभव को उनके बीच बाँटें एवं प्रेरिताई को जियें।
प्रिय
भाइयो एवं बहनो, धन्य कुँवारी मरियम की मध्यस्थता से हम प्रार्थना करें कि प्रत्येक ख्रीस्तीय
विश्वासी एम्माउस के चेलों के अनुभव पर चिंतन करते हुए विशेषकर, रविवारीय ख्रीस्तयाग
में पुनर्जीवित येसु से मुलाकात द्वारा मन-परिवर्तन की कृपा प्राप्त करे जहाँ ईश वचन
है जो परेशानियों एवं निराशा में हमेशा हमारा मार्गदर्शन करता है। वहीं रोटी तोड़ी जाती
है जो हमें यात्रा में आगे बढ़ने का बल प्रदान करता है। इतना कहने के पश्चात् संत
पापा ने स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद प्रदान
किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पश्चात् संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों एवं पयर्टकों
का अभिवादन करते हुए कहा, ″प्रिय भाइयो एवं बहनो, पवित्र हृदय को समर्पित काथलिक
विश्वविद्यालय का आज 90 वाँ राष्ट्रीय दिवस है। जिसका शीर्षक है ‘भविष्य के युवा खिलाड़ियों
के साथ’। मैं इस महा विश्वविद्यालय के लिए प्रार्थना करता हूँ कि यह आधुनिक युग के साथ
अपनी सच्ची प्रेरिताई में बना रहे। यदि ईश्वर की इच्छा हो तो मैं शीघ्र ही रोम स्थित
50 वर्षों पुराने जेमेली अस्पताल के औषधि एवं शल्यचिकित्सा विभाग का दौरा करूँगा।
तत्पश्चात
संत पापा ने विभिन्न स्थानों से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया तथा उन्हें
शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की। अंत में उन्होंने भक्त समुदाय से यूक्रेन के
लिए प्रार्थना की अपील करते हुए कहा, ″मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि यूक्रेन की परिस्थिति
को माता मरिया के चरणों सिपुर्द करें जहाँ संघर्ष जारी है। मैं आपके साथ मिलकर, इन दिनों
संघर्ष के शिकार हुए लोगों के लिए प्रार्थना करता हूँ। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ
कि वे उनके हृदय में शांति एवं भाईचारा उत्पन्न करे। हम अफगानिस्तान के एक गाँव में
दो दिनों पूर्व हुए भूस्खलन द्वारा मारे गये लोगों के लिए प्रार्थना करें। सर्वशक्तिमान
ईश्वर जो हरेक जन को उनके नाम से जानता है मृतकों को अनन्त शांति के धाम में प्रवेश पाने
दे तथा जो इस घटना से बच पाये हैं उनके दुखों को हरनेवाले लोगों द्वारा उन्हें आगे बढ़ने
का बलप्रदान करे।