वाटिकन सिटी, सोमवार 5 मई, 2014 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 5 मई को रोम
स्थित संत स्तानिस्लाव पल्ली का दौरा किया और जोन पौल द्वितीय को संत बनाये जाने की घोषणा
के लिये एक धन्यवादी यूखरिस्तीय बलिदान चढ़ाया जिसमें हज़ारों पोलैंडवासियों के अलावा
कई अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। विदित हो कि संत जोन पौल द्वितीय सन् 1978 ईस्वी के
अक्तूबर माह में पोप बनने के पूर्व पोलैंड के कराकोव के महाधर्माध्यक्ष और कार्डिनल थे। संत
पापा फ्राँसिस ने यूखरिस्तीय बलिदान में प्रवचन में पोलैंड की प्रशंसा करते हुए कहा,
" पोलैंड एक महान् राष्ट्र है जिसका इतिहास चुनौतीपूर्ण रहा है पर उसे मालूम है कि महिमा
में प्रवेश करने के लिये व्यक्ति को दुःख उठाना और क्रूस ढोना पड़ता है।" उन्होंने
कहा, "पोलैंडवासियों को इसकी जानकारी इसलिये नहीं है क्योंकि उन्होंने इसका अध्ययन किया
है पर इसलिये क्योंकि उन्होंने इसे अपने जीवन से सीखा है।" संत पापा ने कहा, "संत
जोन पौल द्वितीय विश्व परिवार के एक योग्य पुत्र हैं जिन्होंने अपने जीवन से मानव परिवार
को एक उदाहरण दिया है। क्या हम भी दुःख और क्रूस के पथ पर चलने को तैयार हैं ? " रविवारीय
सुसमाचार पर आधारित एम्माउस की राह पर दो चेलों को येसु के दर्शन के संदर्भ पर चिन्तन
प्रस्तुत करते हुए संत पापा फ्रांसिस ने संत जोन पौल द्वितीय की याद की और कहा, " हम
पर्यटक नहीं हैं। एम्माउस की राह पर चलनेवाले दो शिष्य राह में भटक रहे थे उन्हें पता
चल रहा था कि उनकी मंजिल कहाँ है पर जब वे एम्माउस से वापस लौटने लगे तो वे आशा अर्थात्
येसु के साक्षी बन गये थे। ऐसा इसलिये क्योंकि उनकी मुलाक़ात जीवित येसु से हो चुकी थी।"
संत पापा ने कहा, " येसु आज भी हमारे साथ हैं, वे हमारे बीच हैं। वे अपने दिव्य
शब्दों में उपस्थित हैं, पवित्र वेदी में हैं, वे हमारे साथ चलते हैं और वे जीवित है।"
संत पापा ने ईश्वर से प्रार्थना की कि संत जोन पौल द्वितीय हमारी मदद करें ताकि हम
भी उनके समान पुनर्जीवित तीर्थयात्री बन सकें।