वाटिकन सिटी, शनिवार 3 मई 2014 (वीआर सेदोक)꞉ कलीसिया के परमाध्यक्ष के साथ अपनी पंचवर्षीय
पारम्परिक मुलाकात, "आद लीमिना" के लिये श्रीलंका से रोम पधारे 15 काथलिक धर्माध्यक्षों
से मुलाकात कर सन्त पापा फ्राँसिस ने शनिवार 3 मई को उन्हें सामूहिक रूप से सम्बोधित
किया। इस अवसर पर उन्होंने श्रीलंका के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन पर विशेष ध्यान
केन्द्रित किया तथा कलीसिया को माता मरिया के लिए समर्पित करने की 75 वर्षीय जयन्ती पर
उन्हें शुभकामनाएँ अर्पित की एवं विश्वास में दृढ़ बने रहने का आग्रह किया।
उन्होंने
संदेश में कहा, ″जो विश्वास एवं कृपा हमने ईश्वर से प्राप्त की है वह संचित कर रखने के
लिए नहीं है किन्तु अपने दैनिक जीवन द्वारा मुक्त रूप से बांटने के लिए है क्योंकि हमारी
बुलाहट, मनुष्यों के बीच ख़मीर बनना, सुसमाचार की घोषणा करना एवं ईश्वर की मुक्ति को
संसार में लाना है।″ उन्होंने कहा कि श्रीलंका को इस ख़मीर की विशेष आवश्यकता है।
कई वर्षों के संघर्ष एवं खून ख़राबों के पश्चात् अब युद्ध का अंत हो चुका है तथा एक नयी
आशा का उदय हुआ है। लोग अपने जीवन एवं समुदाय का निमार्ण कर रहे हैं। संत पापा ने कहा
कि वे लोगों को आपस में मेल-मिलाप एवं सभी लोगों के मानव अधिकार की कद्र करने तथा जाति
भेद की भावना से उपर उठने का प्रोत्साहन दें। संघर्ष के दौरान प्रियजनों को खोने वालों
को संत पापा ने अपनी सान्तवना अर्पित की। संत पापा ने धर्माध्यक्षों से आग्रह किया
कि वे समाज में एकता को बढ़ावा दें। कलीसिया की ओर से दूसरे महत्वपूर्ण कार्य के लिए
प्रेरित करते हुए संत पापा ने कहा कि वे उदारतापूर्ण कार्यों पर विशेष ध्यान दें क्योंकि
यह ईश्वर की करूणामय प्रकृति को दर्शाता है।
संत पापा ने कहा कि समाज सेवा के
कार्यों में यह ध्यान रहे कि ग़रीबों एवं हाशिये पर जीवन यापन कर रहे लोगों की उपेक्षा
न हो। वे समाज के सब लोगों के विकास का ख्याल रखें, विभिन्न धर्मों के बीच आपसी समझदारी
एवं स्वस्थ संबंधों को बनाये रखने के लिए अंतर धार्मिक वार्ता जारी रखें। कलीसिया द्वारा
छोटे समुदाय बनाने की पहल में ईश वचन के महत्व एवं ख्रीस्त को उनके करीब लाने तथा कलीसिया
में उनकी सहभागिता पर विशेष ध्यान दें।
पुरोहितों को धन्यवाद देते हुए संत पापा
ने कहा, ″विश्वास के प्रचार, एकता तथा वार्ता को बढ़ावा देने हेतु पुरोहित आप की मदद
करते हैं, मैं आपके साथ उनके लिए ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ। उन्होंने प्रेरिताई में
लगे सभी धर्मसंघी समुदायों को भी धन्यवाद दिया। संत पापा ने श्रीलंका के परिवारों के
लिए धन्यवाद दिया तथा कहा कि परिवार समाज का एक मौलिक स्थान है जहाँ हम जीना एवं एक दूसरे
को प्यार करना सीखते हैं जहाँ माता-पिता अपना विश्वास बच्चों को प्रदान करते हैं। संत
पापा ने धर्माध्यक्षों से आग्रह किया कि वे आगामी धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में परिवार पर
विचार-विमर्श कर उसके विकास हेतु सहयोग दें। अंत में संत पापा ने सभी धर्माध्यक्षों
को श्रीलंका की माता मरिया की मध्यस्थता के सिपुर्द किया तथा उन्हें अपना प्रेरितिक
आर्शीवाद दिया।