थाइलैंड की शांति के लिये अन्तरधार्मिक प्रार्थना सभा
बैंकॉक, शुक्रवार 2 मई, 2014 (सीएनए) थाईलैंड में बिगड़ती राजनीतिक स्थिति के देखते हुए
काथलिक धर्माध्यक्षों ने देश के अन्य लोगों बौद्ध, हिन्दु, मुस्लिम और अन्य समुदायों
के साथ के अन्तरधार्मिक वार्ता एवं प्रार्थना सभा का आयोजन किया ताकि समस्या का शांतिपूर्ण
समाधान निकाला जा सके।
बैंकॉक के महाधर्माध्यक्ष फ्राँसिस जेवियर क्रिंगसक कोविथावंनीज़
के सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रार्थना की शक्ति मानव के जीवन में अहम भूमिका अदा
करती है। प्रत्येक धर्म इस बात को स्वीकार करता है और ह्रदय से विश्वास करता है।
उन्होंने
कहा कि थाइलैंड के धार्मिक नेताओं ने आवाज़विहीनों की दबी आवाज़ को सुना है और उनका
दृढ़ विश्वास है कि प्रार्थना चमत्कार करता है।
थाईलैंड धर्माध्यक्षीय समिति की
सामाजिक सम्प्रेषण के लिये बनी समिति के सचिव फादर अनुचा चैयादे ने कहा कि देश के पाँच
मुख्य धर्मों के नेताओं ने एक साथ मिलकर प्रार्थना का सहारा लिया है और शांति स्थापित
करने के लिये एकत्रित हुए हैं क्योंकि ह्रदय के अन्तरतम में सबों को यह विश्वास है कि
ईश्वर ही शांति प्रदान कर सकता है।
उन्होंने प्रार्थना के महत्व पर प्रकाश डालते
हुए कहा कि प्रार्थना, तपस्या, मदद काथलिक कलीसिया के हथियार रहे हैं । उन्होंने कहा
कि हम उन चीज़ों को भी हम प्रार्थना के बल पर प्राप्त करते हैं जो मानवीय दृष्टिकोण से
असंभव है।
महाधर्माध्यक्ष कियेंगसक ने देश के नेताओं से अपील की है कि वे वार्ता
के सहारे समस्या का समाधान करें और थाईलैंड को न्याय, भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र बनाने
के लिये कार्य करें।
मालूम हो कि करीब चार महीने से जारी प्रदर्शन के बाद कार्यवाहक
प्रधानमंत्री शिनवात्रा को अपना कार्यालय छोड़ना पड़ा है। विपक्ष चुनावों के बजाय एक गैर
निर्वाचित पीपुल्स काउंसिल को सत्ता सौंपने की मांग पर अड़ा हुआ है।
शिनवात्रा
ने शुक्रवार को कहा, "मैं रक्षा मंत्री भी हूँ। इसका मतलब मुझे एक सैनिक की तरह आखिरी
दम तक अपने दायित्व का निर्वाह करना होगा। एक सैनिक को आखिर तक अपनी जमीन के लिए लड़ना
चाहिए और जरूरत पड़ने पर युद्ध के मैदान में जान भी दे देनी चाहिए। इसलिए मैं राजनीतिक
युद्ध क्षेत्र में लड़ते-लड़ते अपनी जान देना चाहूँगी।"