2014-04-27 15:04:13

संत पापा जॉन पौल द्वितीय


वाटिकन सिटी, रविवार, 27 अप्रैल 2014 (सेदोक)꞉ संत पापा जॉन पौल द्वितीय का बपतिस्मा नाम कारोल जोसेफ वोईतिला था। उनका जन्म पोलैंड के वादोविट्स नगर में 18 मई सन् 1920 को हुआ था। वे अपने माता-पिता के तीन बच्चों में से सबसे छोटे थे। बचपन में ही उन्होंने अपनी माता एवं बड़े भाई को खो दिया तथा उनकी बड़ी बहन की मृत्यु उनके जन्म के पहले ही हो चुका था। इस दुखद घटना ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। कारोल वॉजतिला अपने पिता के साथ सन् 1938 ई. के मध्य वादोविट्स छोड़ काक्रॉव चले गये वहाँ उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई जारी की। विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उन्होंने पुस्तकालय स्वयंसेवक दल के साथ कार्य किया तथा मिलिटरी ट्रेनिंग भी किया।

सन् 1941 ई. में पिता की मृत्यु के बाद वे परिवार के एक मात्र सदस्य बच गये थे। अब वे गंभीरता पूर्वक पुरोहिताई जीवन की ओर विचार करने लगे। अक्तूबर 1942 ई. में उन्होंने क्राकॉव के महाधर्माध्यक्ष से पुरोहिताई की पढ़ाई हेतु मदद की याचना की। सभी संतों के पर्व दिवस 1 नवम्बर 1946 ई. को उनका पुरोहिताभिषेक क्राकॉव के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल सापियेहा के कर कमलों से सम्पन्न हुआ, जिन्होंने उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु रोम के परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय अंजेलिकुम भेजा। पढ़ाई समाप्त कर वोईतिला स्वदेश लौटे।

4 जुलाई 1958 ई. को संत पापा पियुस 12 वें ने उन्हें क्राकॉव के सहायक धर्माध्यक्ष नियुक्त किया था। वाटिकन द्वितीय महासभा में उन्होंने अक्तूबर 1962 ई. में भाग लिया। 13 जनवरी सन् 1964 ई. में संत पापा पौल 6 द्वारा वे क्राकॉव के महाधर्माध्यक्ष तथा 26 जून 1967 ई. को कार्डिनल नियुक्त हुए। संत पापा पौल 6 वें के निधन पर, संत पापा जॉन पौल प्रथम संत पापा बने किन्तु 33 दिनों बाद ही उनकी मृत्यु हो गयी तत्पश्चात् करोल जोसेफ वोईतिला संत पापा जॉन पौल द्वितीय के नाम से 16 अक्तूबर सन् 1978 ई. को काथलिक कलीसिया के संत पापा नियुक्त किये गये थे।
27 वर्षों की लम्बी अवधि तक विश्वव्यापी कलीसिया की सेवा करने के पश्चात् संत पापा जॉन पौल द्वितीय का निधन 2 अप्रैल 2005 ई. को हुआ। उनकी कब्र वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर में स्थापित है।
संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने उन्हें 1 मई 2011 ई. को धन्य घोषित किया था।
संत पापा जॉन पौल द्वितीय का आदर्श जीवन तथा अभूतपूर्व कार्य काथलिक कलीसिया एवं ख्रीस्तानुयायों को सदा प्रेरित करता रहेगा।








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