2014-04-27 12:09:27

वाटिकन सिटीः सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय 20 वीं सदी के सर्वाधिक प्रभावशाली नेता


वाटिकन सिटी, 27 अप्रैल सन् 2014 (सेदोक): सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय का परमाध्यक्षीय काल कलीसियाई इतिहास के सर्वाधिक दीर्घ कालों में से एक था। उनके परमाध्यक्षीय काल के दौरान ही, विभिन्न आयामों के अन्तर्गत, विश्व अनेक अभूतपूर्व परिवर्तनों का साक्षी बना। पहले अपनी मातृभूमि और फिर सम्पूर्ण पूर्वी यूरोप में साम्यवाद को समाप्त करने में अपने अभूतपूर्व योगदान के कारण सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय 20 वीं सदी के सबसे प्रभावशाली नेताओं में विख्यात हो गये हैं।

यहूदी धर्म, इस्लाम धर्म, पूर्वी ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीयों तथा एंगलिकन कलीसिया के साथ काथलिक कलीसिया के सम्बन्धों को सुधारने में भी सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने बेजोड़ भूमिका निभाई थी। जीवन सम्बन्धी कलीसिया की धर्मशिक्षा को अक्षुण रखने के लिये जॉन पौल द्वितीय तथाकथित प्रगतिवादियों की आलोचना का भी शिकार बने किन्तु इससे उनका मिशनरी उत्साह कम नहीं हुआ। अपने किसी भी पूर्वाधिकारी से अधिक वे ईश प्रजा मिले, राष्ट्राध्यक्षों, राजनीतिज्ञों तथा विभिन्न कार्यक्षेत्रों के विश्व नेताओं से बातचीत कर उन्होंने विश्व को न्याय एवं शांति से परिपूर्ण स्थल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रभु येसु के सुसमाचार के प्रसार हेतु विश्व के 129 राष्ट्रों में उन्होंने प्रेरितिक यात्राएँ कीं।

सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के नेतृत्व में ही काथलिक कलीसिया ने तृतीय सहस्राब्दि में प्रवेश किया तथा येसु मसीह की दो हज़ारवीं जयन्ती मनाई। "नवीन सहस्राब्दि की ओर" शीर्षक से प्रकाशित सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के प्रेरितिक पत्र के साथ ही कलीसिया 21 वीं सदी के नवयुग की ओर अभिमुख हुई। उनके द्वारा रचित 14 विश्व पत्र, 15 प्रेरितिक उदबोधन, 11 प्रेरितिक संविधान, 45 प्रेरितिक पत्र युगयुग तक काथलिक कलीसिया एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के लिये मार्गदर्शन का स्रोत बने रहेंगे।








All the contents on this site are copyrighted ©.